माध्य [MEAN]
माध्य की परिभाषा, उपयोग, गणना(Definition, Uses, Computation of mean) –
सांख्यिकी की दुनियाँ में केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप एक क्रान्ति से कम नहीं है, यद्यपि इसमें कई तरह के मध्यमान,मध्यांक और बहुलांक की गणना शामिल है लेकिन इस अंक में हम यहॉं केवल माध्य जिसे कुछ लोग समान्तर माध्य या अंक गणितीय माध्य के नाम से भी जानते हैं, के बारे में अध्ययन करेंगे और इस अध्ययन में मुख्यतः इसकी परिभाषा, उपयोग और गणना को शामिल करेंगे।
माध्य की परिभाषा (Definitions of mean) – जब किसी आंकड़े में प्राप्त अंकों का योग करके उस समूह की कुल संख्या (N) द्वारा विभाजित किया जाता है और इस प्रक्रिया के माध्यम से जो संख्या प्राप्त होती है उसे उस समूह का मध्यमान (Mean) कहा जाता है।
विकिपीडिया के अनुसार –
”समान्तर माध्य वह मूल्य है ,जो किसी श्रेणी के समस्त पदों के मूल्य के योग में उसकी संख्या का भाग देने से प्राप्त होता है।“
आंग्ल अनुवाद
“The arithmetic mean is the value which is obtained by dividing the sum of the values of all the terms of a series by its numbers.”
रेबर और रेबर के अनुसार –
” मूल्यों या प्राप्तांकों के समूह को मूल्यों या प्राप्तांकों की संख्या से भाग देना ही अंकगणितीय मध्यमान कहलाता है।“
” Arithmetic mean is the sum of a set of value or score divided by the number of value or score.”
ग्लीट मैन के अनुसार –
“किसी अंक सामग्री के समस्त अंकों के योगफल को उन अंकों की संख्या से भाग देने से जो भाग फल प्राप्त होता है उसे मध्यमान कहते हैं।“
“The mean is the sum of the separate score of the measures divided by their number.”
माध्य का उपयोग(Uses of mean) –
01 – गणना में सरलता के कारण इसकी अधिक लोकप्रिय ढंग से उपादेयता है।
02 – अनुमानित न होने की वजह से यह यथार्थ के निकट मानकर उपयोग में लाया जाता है क्योंकि इसे ज्ञात करने की एक निश्चित विधि व सूत्र है।
03 – केंद्रीय प्रवृत्ति में इसे तुलना का महत्त्वपूर्ण आधार मानकर प्रयोग करते हैं।
04 – वितरण के प्रत्येक अंक को स्थान मिलने के कारण इसकी विश्वसनीयता अधिक है।
05 – अधिगम में सरलता के कारण भी यह अधिक उपयोगी है।
06 – शुद्ध और विश्वसनीय गणना हेतु इसकी अधिक उपयोगिता है।
माध्य की गणना (Computation of mean) –
अव्यवस्थित और व्यवस्थित आंकड़ों के मध्यमान हेतु सामान्य रूप से यह विधियाँ प्रयोग में लाई जाती हैं –
1- अव्यवस्थित आंकड़ों का मध्यमान [Mean of unsystematic data]
2 – व्यवस्थित आंकड़ों का मध्यमान [Mean of systematic data]
- अव्यवस्थित आंकड़ों का मध्यमान [Mean of unsystematic data]-
यदि आंकड़े बिखरे हुए या अव्यवस्थित हों तो इस तरह के आंकड़ों का मध्यमान निम्न सूत्र के माध्यम से ज्ञात किया जाता है –
मध्यमान (M ) = ∑X / N
∑X = आंकड़ों का योग
N = आंकड़ों की संख्या
उदाहरण /Example –
प्रश्न – निम्न अवव्यवस्थित आंकड़ों के मध्यमान की गणना कीजिए।
32, 36, 37, 39, 43, 47
हल – उक्त प्राप्तांकों के अनुसार
N = आंकड़ों की संख्या = 6
∑X = आंकड़ों का योग = 32+ 36+ 37+ 39+ 43+ 47 = 234
मध्यमान (M ) = ∑X / N = 234/6 = 39
प्रश्न – इस वितरण में राम और श्याम के विगत 5 माह के प्रयुक्त विद्युत् यूनिट दिए गए हैं दोनों का विगत 5 माह की विद्युत खपत का मध्यमान ज्ञात कीजिए।
क्रमाङ्क | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 |
राम के यूनिट | 142 | 145 | 168 | 131 | 150 |
श्याम के यूनिट | 232 | 243 | 254 | 212 | 249 |
हल – उक्त प्राप्तांकों के अनुसार
N = माह की संख्या = 5
∑X = राम के यूनिट का योग = 142+ 145 + 168 + 131+ 150 = 736
राम के यूनिट का मध्यमान (M ) = ∑X / N = 736/5 = 147.2
N = माह की संख्या = 5
∑X = श्याम के यूनिट का योग = 232 + 243 + 254 + 212 + 249 = 1190
श्याम के यूनिट का मध्यमान (M ) = ∑X / N = 1190/5 = 238
2 – व्यवस्थित आंकड़ों का मध्यमान [Mean of systematic data] –
अभी जिन आंकड़ों का मध्यमान ऊपर निकाला गया है वह सरल है क्योंकि सीमित अर्थात कम आंकड़ों का प्रयोग किया है जब आँकड़े बहुत ज्यादा होते हैं तो मध्यमान को अन्य विधियों द्वारा ज्ञात किया जाता है। विस्तृत, जटिल तथा व्यवस्थित आंकड़ों से मध्यमान ज्ञात करने की दो विधियाँ प्रचलित हैं।
मध्यमान (दीर्घ विधि द्वारा गणना) – दीर्घ विधि द्वारा गणना करने हेतु निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है –
मध्यमान (M ) = ∑f. X / N
M = मध्यमान (Mean)
∑ = योग का चिन्ह
f = आवृत्ति
X = वर्गान्तर का मध्य बिन्दु
N = आवृत्तियों का योग
f. X = आवृत्ति और वर्गान्तर मध्यमान का गुणनफल
इस सूत्र के प्रयोग को निम्न उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है ।
उदाहरण /Example –
प्रश्न – निम्न आवृत्ति वितरण से दीर्घ विधि द्वारा मध्यमान की गणना कीजिए।
वर्ग अन्तराल | 0-4 | 5-9 | 10-14 | 15-19 | 20-24 | 25-29 |
f | 4 | 7 | 9 | 11 | 15 | 14 |
हल – उक्त प्राप्तांकों के अनुसार
वर्ग अन्तराल C- I | मध्य बिन्दु ( X) | आवृत्ति( f) | f. X |
25-29 | 27 | 14 | 378 |
20-24 | 22 | 15 | 330 |
15-19 | 17 | 11 | 187 |
10-14 | 12 | 9 | 108 |
5-9 | 7 | 7 | 49 |
0-4 | 2 | 4 | 8 |
N = 60 | ∑f. X = 1060 |
दीर्घ विधि द्वारा गणना करने हेतु निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है –
मध्यमान (M ) = ∑f. X / N
M = मध्यमान (Mean)
∑ = योग का चिन्ह
f = आवृत्ति
X = वर्गान्तर का मध्य बिन्दु
N = आवृत्तियों का योग
f. X = आवृत्ति और वर्गान्तर मध्यमान का गुणनफल
मध्यमान (M ) = ∑f. X / N
=1060 / 60
= 17.666
=17.67
मध्यमान (लघु विधि द्वारा गणना) – दीर्घ विधि द्वारा गणना करने हेतु निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है –
मध्यमान (M ) = A,M + (∑f. d / N) x i
M = मध्यमान (Mean)
A.M = कल्पित माध्य
∑ = योग का चिन्ह
f = आवृत्ति
d= कल्पित मध्यमान से विचलन
N = आवृत्तियों का योग
f. d = आवृत्ति और मध्यमान से विचलन का गुणनफल
उदाहरण /Example –
प्रश्न – निम्न आवृत्ति वितरण से लघु विधि द्वारा मध्यमान की गणना कीजिए।
वर्ग अन्तराल | 0-4 | 5-9 | 10-14 | 15-19 | 20-24 | 25-29 |
f | 4 | 7 | 9 | 11 | 15 | 14 |
हल – उक्त प्राप्तांकों के अनुसार
वर्गअन्तरालC-I | आवृत्ति( f) | कल्पित मध्यमान से विचलन (d) | fXd |
25-29 | 14 | 3 | 42 |
20-24 | 15 | 2 | 30 |
15-19 | 11 | 1 | 11 |
10-14 (कल्पित माध्य वर्ग) | 9 | 0 | 0 |
5-9 | 7 | -1 | -7 |
0-4 | 4 | -2 | -8 |
N = 60 | ∑f.d=68 |
– दीर्घ विधि द्वारा गणना करने हेतु सूत्र –
मध्यमान (M ) = A,M + (∑f. d / N) x i
M = मध्यमान (Mean)
A.M = कल्पित माध्य
∑ = योग का चिन्ह
f = आवृत्ति
d= कल्पित मध्यमान से विचलन
N = आवृत्तियों का योग
f. d = आवृत्ति और मध्यमान से विचलन का गुणनफल
–दीर्घ विधि द्वारा गणना करने हेतु सूत्र –
मध्यमान (M ) = A,M + (∑f. d / N) x i
A,M =(10+14)/2=12
∑f. d = 68
N = 60
I = 5
मध्यमान (M ) = A,M + (∑f. d / N) x i
=12+(68/60) X 5
=12 +5.666
=17.666
=17.67
‘’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’