सुदर्शन जो धारण करो होश में,
ढाँचा देश द्रोह का बिगड़ जाएगा।
नूतन सा चक्कर चलाओ तो तुम ,
घनचक्कर बना वो नज़र आएगा।
नव क्रान्ति परचम उठाओ तो तुम
राष्ट्रीय चिन्तन स्तर बदल जाएगा । 1 ।
हाथ संग हाथ लेकर दिखो रोष में
कारवाँ तब तुम्हारा प्रगति पायेगा।
दुश्मन से टक्कर की थानों तो तुम,
दुम दबाकर न जाने कहाँ जाएगा।
नव क्रान्ति परचम उठाओ तो तुम
राष्ट्रीय चिन्तन स्तर बदल जाएगा । 2 ।
यूँ न बैठा करो आप अफ़सोस में,
तन अवसाद, मन पर छा जाएगा।
चिन्ता की चिता गर सजाओगे तुम,
हौसला ये स्वतः यूँ निखर जाएगा।
नव क्रान्ति परचम उठाओ तो तुम
राष्ट्रीय चिन्तन स्तर बदल जाएगा । 3 ।
होश होना जरूरी है अब जोश में
देशहित से मतलब निकल पायेगा।
संभल देश द्रोही को पहचानो तुम,
फिर बेदम हुआ वह नज़र आएगा।
नव क्रान्ति परचम उठाओ तो तुम
राष्ट्रीय चिन्तन स्तर बदल जाएगा । 4 ।
डूबोगे नहीं गर, तुम मद-होश में
कारवाँ कालिमा का ठहर जाएगा
हिम्मत का जलवा दिखाओ तो तुम
डरने वालों का जज़्बा बदल जाएगा
नव क्रान्ति परचम उठाओ तो तुम
राष्ट्रीय चिन्तन स्तर बदल जाएगा ।5।
शामिल पाञ्चजन्य हो अब उद्घोष में,
चलन तम का बेशक बदल जाएगा।
करम राष्ट्रहित आकलित रखना तुम,
देश का आचरण ‘नाथ’ बदल जाएगा।
नव क्रान्ति परचम उठाओ तो तुम
राष्ट्रीय चिन्तन स्तर बदल जाएगा ।6।