आज
कुछ फिर यूँ, गुनगुनाने चला हूँ,
प्रभु
गीत बुन कर, मैं सुनाने चला हूँ,
जो
कुछ किया है या फिर आगे करेंगे,
प्रभु
की इच्छा से होता, बताने चला हूँ।
आनन्द, परमानन्द से मिलाने चला हूँ।1।
मौन
से नाद उपजा हाँ बजाने चला हूँ,
नाद
अनहद अलख को जगाने चला हूँ,
काम
दुष्कर है प्रभु जी हम कैसे करेंगे,
होगा
प्रभु की कृपा से बताने चला हूँ।
आनन्द, परमानन्द से मिलाने चला हूँ।2।
जो
सोए हुए हैं उनको जगाने चला हूँ,
दिल
में करुणा आलय बनाने चला हूँ,
शोध
के सार को सरलतम कैसे करेंगे,
आह्लाद
को प्रहलाद दिखाने चला हूँ।
आनन्द, परमानन्द से मिलाने चला हूँ।3।
मिथ्या
का अलगाव मिटाने चला हूँ,
चेतना
का, प्रतिमान बनाने चला हूँ,
दृढ़
इच्छा लगन का अवलम्ब रखेंगे,
सद्
उदगार जग में जगाने चला हूँ।
आनन्द, परमानन्द से मिलाने चला हूँ।4।
सर्वोत्थान
का विश्वास, दिलाने चला हूँ,
आराम की आदत मैं, छुटाने चला हूँ,
अखण्ड
जीवन – ज्योति जला के रहेंगे,
भारतीयता
विशुद्धतम फैलाने चला हूँ।
आनन्द, परमानन्द से मिलाने चला हूँ।5।
सारी सङ्कीर्ण
भावना मिटाने चला हूँ,
गङ्गा
सद्भावना की मैं, बहाने चला हूँ,
कण्टक
पथ पर सुमन हम बिछाके रहेंगे,
पावन
दामन के दाग मिटाने चला हूँ।
आनन्द, परमानन्द से मिलाने चला हूँ।6।
मर्यादाओं
को दिल से निभाने चला हूँ,
माँ
भवानी को हृदय में जगाने चला हूँ,
जोश
में होश मिश्रित हम करके रहेंगे,
माँ
भारती को अब मैं रिझाने चला हूँ।
आनन्द, परमानन्द से मिलाने चला हूँ।7।
अम्बर
को धरती पर, मैं लाने चला हूँ,
भागीरथ
सा प्रयास अब कराने चला हूँ,
हौसला
अनवरत विजय का हम रखेंगे,
जागरण
के चन्दख्वाब दिखाने चला हूँ।
आनन्द, परमानन्द
से मिलाने चला हूँ।8।
सद्
इच्छायें मनस की बताने चला हूँ,
चेतनता
को अब प्रश्रय दिलाने चला हूँ,
भाव
कृतज्ञता का हम, सदा
ही रखेंगे,
‘नाथ’ इन्सानियत
सबमें जगाने चला हूँ।
आनन्द, परमानन्द से मिलाने चला हूँ।9।