आने वाला हर नव दिन ये गात पुराना कर देता है
बदले है भूगोल शरीरी गुम इतिहास में कर देता है
तन तो नहीं रहेगा प्यारे इससे कुछ ऐसा काम करें
जो ये भी कर न सके गुमनाम उसे जग कर देता है ।
बीतने वाला हर वह दिन कुछ प्रश्न खड़े कर देता है
बहका सा चिन्तन अपना फिर घाव हरे कर देता है
हम तो नहीं रहेंगे प्यारे इतिहास में सत्य सुबोध भरें
इतिहास को छलने वालों का वक़्त गर्क कर देता है ।
सत्य को सौ परदों में रखो, वह तो अंगड़ाई लेता है
कितने झूठे रंग भरो सच स्वयं को सिद्ध कर देता है
तम तो नहीं रहेगा प्यारे आओ अब तीव्र प्रकाश करें
जो सच सोया है पर्तों में वक़्त उनमें तेज़ भर देता है।
जो इतिहास की गलती से, सुनो सबक नहीं लेता है
फिर वक़्त भी साथ नहीं देता सारी बुद्धि हर लेता है
हर दम सब नहीं रहेंगे प्यारे सो प्रेम भाव प्रसार करें
सद् रंग स्नेह का बढ़ता जाना साधु भाव भर देता है।
विगत का बीजारोपण वर्तमान में यौवन भर देता है
कारण बनता वर्तमान भविष्य दिशा तय कर देता है
हम तो वही कहेंगे प्यारे सब कुछ तज सद्कर्म करें
कर्मफल ही आगे बढ़कर भाग्य स्वरूप धर लेता है।
राष्ट्र प्रेम घन घोर से तम में, चैतन्य भाव कर देता है
नव सूर्य चैतन्य भाव संग मिल वीर भाव भर देता है
हम सब यही कहेंगे प्यारे निज मन वीरता भाव भरें
वीरभाव का पथ प्रशस्त ‘नाथ’ कालचक्र कर देता है।