धर्म के नाम पर यह धन्धा अजीब है,
झगड़ा किसी का हो मरता गरीब है,
दंगा कोई भी हो, मुद्दा भी कोई हो,
अच्छाइयों हेतु मुकम्मल सलीब है।
बताएं अपने देश का क्या नसीब है ? ।1।
दुनियाँ को नापना है पुरानी जरीब है,
ये याद है रखना, दुनियाँ रकीब है,
चंगा कोई भी हो मुर्दा भी कोई हो,
आज के इस दौर में पैसा हबीब है।
बताएं अपने देश का क्या नसीब है ? ।2।
जाति, मजहब, कौम का जो मुरीद है,
वह जानता नहीं कि सबका वहीद है,
मजहब कोई हो व वतन भी कोई हो,
गिरता जो शीश सीमा पे वो शहीद है।
बताएं अपने देश का क्या नसीब है ? ।3।
कैसे कहूँ की देश मेरा अब गरीब है,
जेहन हैं इस में ऐसे, मंगल करीब है,
धन्धा कोई हो, चाहे उत्पाद कोई हो,
विकसित हैं जो राष्ट्र वे अपने मुरीद हैं।
बताएं अपने देश का क्या नसीब है ? ।4।
उत्साह से लबरेज है, जनता गरीब है,
वो जाने अच्छी तरह उसका वहीद है,
खुद पे भरोसा हो अपनों का साथ हो,
वो देश बढ़ेगा जरूर ये तय नसीब है।
बताएं अपने देश का क्या नसीब है ? ।5।