संसार का सर्व श्रेष्ठ प्राणी मनुष्य कहा जाता है लेकिन किसी भी मनुष्य के ऊपर हावी हो सकता है तनाव। इसने अवतारों को भी नहीं बख्शा। भले ही आप उसे लीला कह लें। जिसने इन तनावों का जितनी कुशलता से निवारण किया वह उतना अधिक सफल हुआ। तनावों से बचाने के लिए न तो आपके ऊपर मनोवैज्ञानिक भारी भारी सिद्धान्तों का बोझ डालूँगा और न धर्माचार्यों के चक्र व्यूह में आपको फँसाऊँगा। यह एक असन्तुलन है जिसे सहजता से सन्तुलन की दहलीज पर लाया जा सकता है। तमाम साहित्य और दृश्य श्रव्य सामग्री से जो जवाब नहीं मिल पाया वह लगभग 500 लोगों के विचारों से मुझे प्राप्त हुआ आपके साथ उसी प्रतिक्रिया को बिन्दुवत तनाव मुक्ति के स्वीकृत विचारों के रूप में आपसे साझा करता हूँ। विश्वास रखिये तनाव उड़न छू हो जाएगा।
तनाव से मुक्ति के उपाय –
आप इनकी सरलता पर मत जाना ये लोगों के विचारों का सार है जिन्हें इस प्रकार क्रम दिया जा सकता है।
1⇒ प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में जागरण –
सुबह चार बजे उठने से पूरे दिन की दिनचर्या व्यवस्थित हो जाती है याद रखें हमें तनाव प्रबन्धन नहीं करना है प्रबन्धन अच्छी चीजों का किया जाता है तनाव का तो समूल विनाश किया जाना है इसीलिए जब उचित समय पर जागेंगे तो सारे कार्यों को समय मिल सकेगा और तनाव उत्पत्ति के कई कारण दम तोड़ देंगे।
2⇒ शौच स्नानादि क्रिया –
दैनिक क्रियाओं का व्यवस्थित सम्पादन करेंगे मल त्याग से पूर्व पर्याप्त जल का सेवन मौसम के अनुसार करेंगे। मालिश और रगड़ रगड़ कर स्नान की आदत का अनुपालन करेंगे।दन्त धावन के पश्चात आँख पर छपाके लगाते समय मुँह में पानी अवश्य भरा हो। समय प्रबन्धन का विशेष ध्यान रखेंगे। यहीं से खुशनुमा दिन हमारी प्रतीक्षा करेगा। ध्यान रखें इन छोटी छोटी बातों का तनाव मुक्ति से सीधा सम्बन्ध है।
3⇒ चिन्तन – मनन व व्यूह रचना –
आदि शक्तियों और अच्छे अच्छे विचारों का चिन्तन मनन करने के साथ पूरे दिन के कार्यों हेतु व्यवस्थापन की व्यवस्थित रणनीति बनाई जानी चाहिए। किसी तरह का कोई बोझ मन पर नहीं रखना चाहिए। कोई बोझिल विचार लम्बे समय तक जुड़कर तनाव में परिवर्तित होता है इसीलिये उसे प्रारम्भ में ही दरकिनार कर देना चाहिए।
4⇒ आसन, प्राणायाम, व्यायाम –
आसन और व्यायाम तन के तनाव का निदान करता है और प्राणायाम मन को तनाव से बचाता है तन मन इससे तनाव मुक्त व्यवहार का निर्वहन करने का आदी हो जाता है अचेतन मष्तिस्क अपनी सम्पूर्ण शक्ति के साथ मानस में शक्ति संचरण के प्रवाह को बनाये रखता है।
5⇒ ऊर्जा स्तर उन्नयन –
हमारा शरीर एक अत्याधिक उन्नत किस्म का यन्त्र है जो अपने आप अपने को ठीक करने करने की व्यवस्था करता है और तनाव शैथिल्य हेतु दर्द, आँसू, ऐंठन, बेहोशी, उन्माद आदि का प्रगटन करता है और कालान्तर में स्वयं को ठीक कर लेता है। लेकिन लगातार तनाव उत्पादक विचार का चिन्तन इस शरीर को अपूरणीय क्षति पहुँचाता है इसीलिए हमें अपने शरीर के ऊर्जा स्तर को बनाये रखना है और हर वह सकारात्मक कार्य करना है जिससे हम अपने आप को तरोताज़ा महसूस करते हैं फिर चाहे संगीत सुनना हो ,तैरना हो, नृत्य हो, या आपकी अन्य कोई अभिरुचि का क्षेत्र। कुछ नहीं कर सकते तो पूर्ण श्वांस प्रश्वांस ही करें।
6⇒ स्वास्थ्य अनुकूल व्यवहार –
हमारी सम्पूर्ण क्रियांए मर्यादित व शारीरिक क्षमता में अभिवृद्धि करने वाली हों, किसी भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक वस्तु का सेवन न करने की आदत व्यवहार में लाई जानी चाहिए। नशे की चीजों का तत्काल प्रभाव से परित्याग किया जाना चाहिए। स्वस्थ मस्तिष्क से किसी समस्या पर जितना गहन अध्ययन किया जा सकता नशे की हालत में कदापि सम्भव नहीं। स्वास्थय के अनुकूल कृत्यों को व्यवहार में लाने की आदत का परिष्करण किया जाना चाहिए।
7⇒ यथा योग्य निद्रा व जागरण –
किसी भी कार्य का अतिरेक सन्तुलन बिगाड़ने का कार्य करता है इसी लिए यथायोग्य आहार विहार के साथ नींद की उचित मात्रा भी परम आवश्यक है श्रीमद्भगवद्गीता में श्री कृष्ण जी ने अपने मुखारबिन्द से कहा –
युक्ताहार विहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा ।।
अर्थात दुःखों का नाश करने वाला योग तो यथायोग्य आहार विहार करने वाले का, कर्मों में यथायोग्य चेष्टा करने वाले का तथा यथा योग्य सोने और जागने वाले का ही सिद्ध होता है।
और जब दुखों का ही नाश हो जाएगा तो तनाव कहाँ बचेगा।
8⇒ सकारात्मक चिन्तन –
यदि नकारात्मकता हार का कारण है तो सकारात्मकता जीत की। शत प्रतिशत यह मानने की आवश्यकता है नकारात्मकता मष्तिस्क और शरीर की सबसे बड़ी दुश्मन है इससे हृदयाघात होता है और रोग प्रतरोधक क्षमता पर बुरा असर होता है जो तनाव का प्रमुख कारण है इसीलिये सकारात्मक चिन्तन से जुड़ें। ऐसे साहित्य ,व्यक्ति, विचार का अनुकरण करें जो आपको सकारात्मक प्रेरणा देने में सक्षम हो।कितना सही कहा गया है कि –
“Positive thinking can reduce your stress level, help you feel better about yourself and improve your overall well-being and outlook.”
“सकारात्मक सोच आपके तनाव के स्तर को कम कर सकती है, आपको अपने बारे में बेहतर महसूस करने में मदद करती है और आपके समग्र कल्याण और दृष्टिकोण में सुधार करती है।”
अन्ततः कहा जा सकता है कि अपना तनाव हम स्वयम् दूर कर सकते हैं और दूसरों की मदद भी कर सकते हैं, यहाँ बताये गए तरीकों पर सकारात्मकता के साथ अमल करें बाकी सब शुभ ही होगा। मुस्कुराइए आपके जीवन प्रगति की चाभी आपके हाथ है।