सेंगोल धारण किया है तुमने,
मर्यादा का पथ, वर लेना।
धर्मदण्ड जो चुना है तुमने,
दायित्व का बीड़ा धर लेना ।1।
कठिन डगर है कण्टक पथ है,
दावानल प्रबल है, जल लेना।
तप निकलोगे स्वर्णिम पथ है,
स्वर्णिम पथ पर चल लेना । 2।
यह पथ ही वह कर्त्तव्य पथ है,
इस पथ को तुम वर लेना।
यह संसद वह भव्य मन्दिर है,
सद् प्राण प्रतिष्ठा कर लेना ।3।
भटकाव बहुत भटकन का डर है,
डर से, हिम्मत से, लड़ लेना।
चलना, उठना, बढ़ना, गिरना,
संस्कृति से अपनी तर लेना।4।
आँधी, पानी, बिजली, तूफाँ,
इस सीढ़ी पर तुम चढ़ लेना।
ले विजय पताका बढ़ना है,
सङ्कट इस जग के हर लेना।5।
इस राष्ट्र का गुरु सङ्कट में है,
मुक्ति का साधन कर लेना।
स्वतन्त्र चिन्तन शक्ति बढ़े,
उस पथ के कण्टक हर लेना।6।
वर्षों का विष वमन गरल है,
बस इसको अमृत कर देना।
गर्दन भी बहुत हैं सिर भी बहुत,
राष्ट्रवादी चेतना भर देना।7।
भूमि खण्ड नहीं चेतन है भारत
चेतनता का स्वर भर देना।
राष्ट्र भक्ति ही सर्वोपरि है,
बस यही भाव हर घर देना ।8।
जीवन का क्रम तो अविरल है,
कर्मों को सुगन्धित कर देना,
नाथ ‘नाथ’ है सक्षम है,
धर्मपथ प्रशस्त कर चल लेना ।9।
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