झूठे सिखा रहे हमको कि सच कैसे बोला जाए,
गूंगे सिखा रहे हमको, मुख कितना खोला जाए,
मातपिता ने जन्म दे हमको कहाँ पे फंसा दिया,
लँगड़े सिखा रहे देखो,कि अब कैसे दौड़ा जाए।
राष्ट्रीय संस्कार यही, तन शुभ मन से जोड़ा जाए । 1 ।
लोभी सिखा रहे हमको लालच कैसे छोड़ा जाए,
ढोंगी सिखा रहे हमको, ढोंग से मुख मोड़ा जाए,
वक़्त ने मतिभ्रम फैलाके चौराहे पर खड़ा किया,
अन्धे सिखा रहे हमको सदमार्ग पथ खोला जाए।
राष्ट्रीय संस्कार यही, तन, शुभ मन से जोड़ा जाए ।2 ।
ठेकेदार धर्म के सिखा रहे नया देव खोजा जाए,
माली खुद ही सिखा रहे पुष्पों को यूँ तोड़ा जाए,
पाश्चात्य संस्कृति नकल ने दोराहे पे खड़ा किया,
टी 0 वी 0 सिखा रहा कैसे प्रेमपाश जोड़ा जाए।
राष्ट्रीय संस्कार यही, तन शुभ मन से जोड़ा जाए ।3 ।
भ्रष्ट मण्डली सिखा रही सत्पथ कैसे पकड़ा जाए,
गटक के बोतल बता रहे हैं नशा कैसे छोड़ा जाए,
समय चक्र पारिस्थिकी ने हमको कैसे बड़ा किया,
नंगे सिखा रहे हमको मर्यादा का पथ खोजा जाए।
राष्ट्रीय संस्कार यही, तन शुभ मन से जोड़ा जाए ।4 ।
जो ठाने है घर हीनों का, जीवन कैसे मसला जाए,
यातायात संरक्षण का उससे पाठ कैसे सीखा जाए,
नए नए धन कुबेरों ने हमको सब कुछ भुला दिया,
रावण सिखा रहे हमको कैसे सीतापथ खोजा जाए।
राष्ट्रीय संस्कार यही, तन शुभ मन से जोड़ा जाए ।5 ।
सद्गुरु सिखा रहे येही खुदपर विश्वास किया जाए,
अनुभव का सत साथमें ले सत्य प्रकाश किया जाए,
अन्धविश्वास रूढ़ता ने, भ्रम चौराहे पर खड़ा किया,
सारे नव युवको जागो, अब नव भारत शोधा जाए।
राष्ट्रीय संस्कार यही, तन शुभ मन से जोड़ा जाए ।6 ।