यह नरतन ले इस दुनियाँ में
कुछ धूम मचाने आए हैं
सोये सोये अब क्यों हो
हम अलख जगाने आए हैं।
यह जन्म मिला है इस जग में
कुछ सार्थक करने आये हैं,
तुम खोये खोये अब क्यों हो
सपनों को जगाने आये हैं।
सम्बन्धों की गरिमा जग में
हम उन्हें निभाने आए हैं,
प्रारब्ध हमारा जो भी हो
अब ज्योति जलाने आए हैं।
जोभी करना है जीवन में
क्रम उनका लगाने आए हैं,
जीवन में उथल पुथल जो
हम सम्यक दृढ़ता लाये हैं।
कोरा भ्रम नहीं है इस जग में
जग क्या है जताने आए हैं,
चाहे अवलम्बन जो भी हो
हम पता लगाने आये हैं।
यद्यपि नर तन नश्वर जग में
हम भाव टिकाने आये हैं,
जीवन की सच्चाई जो भी हो
मस्ती का मौसम लाये हैं।