गर्मी के दिनों में लोग इस बात से परेशान रहते हैं की वे अपनी पूरी क्षमता से कार्य नहीं कर पाते। यदि सम्पूर्ण दिन को गर्मी के लिहाज से तीन भागों में बाँटते हैं प्रातः, दोपहर, शाम तो इसमें बीच वाला भाग अर्थात दोपहर सबसे तपिश भरी होती है। बहुत सारे शरीर इस मौसम से इतने अधिक प्रभावित होते हैं कि उन्हें हमेशा गर्मी महसूस होती है जिससे उनके कार्य में बाधा पड़ती है। यहाँ प्रस्तुत हैं –
गर्मी में कूल कूल रहने के आठ उपाय
Eight ways to stay cool in summer
01 – जल का सेवन (Water intake)
02 – तरल खाद्य पदार्थों का उचित सेवन (Suitable intake of liquid foods)
03 – यथोचित प्राणायाम, योग, व्यायाम (Proper pranayama, yoga, exercises)
04 – फल, सब्जी और सुपाच्य भोजन (Fruits, vegetables and nutritious food)
05 – मसालेदार, अधिक तले भुने, अधिक नमक व कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन नहीं
(Do not consume spicy, excessive fried, high salt and caffeinated substances)
06 –मौसम के अनुसार वस्त्र (Clothing according to the season)
07 – नींद और स्नान (Sleep and bath)
08 – पैर के तलवे की देखभाल (Foot care)
01 – जल का सेवन (Water intake)-
गर्मी के दिनों में जल का सेवन सोच समझ कर किया जाना चाहिए पानी घूँट घूँट करके पिया जाना चाहिए केवल शौच निवृत्ति से पूर्व आप लगातार पानीपी सकते हैं। यदि गुन गुना जल नहीं ले सकते तो फ्रिज का बहुत ठण्डा पानी भी वर्जित है सादा जल या घड़े के जल का सेवन किया जा सकता है इसे आप अपने थर्मस में भरकर कार्य स्थल पर भी ले जा सकते हैं। सुबह सुबह, रात्रि को ताँबे के लोटे में रखे जल का सेवन किया जा सकता है। यह पूरे दिन में प्यास के अनुसार या तीन से चार लीटर लिया जा सकता है।गर्मी में बाहर निकलने से पहले पर्याप्त जल का सेवन करना चाहिए। पानी उंकड़ू बैठ कर पीना मुफीद है खड़े होकर नहीं पीना चाहिए।
02 – तरल खाद्य पदार्थों का उचित सेवन (Suitable intake of liquid foods) –
खाद्य सामग्री के मामले में भारत सचमुच बहुत भाग्य शाली है इसमें जहां विविधता पूर्ण व्यञ्जन उपलब्ध हैं वहीं मौसमानुकूल खाद्य सामग्री की बह भरमार है गर्मी में अधिक जल वाले तत्वों का विकल्प चुना जाना चाहिए जैसे नीबू पानी,नारियल पानी, छाछ, आम का पना, पानी की सेंधा नमक वाली शिकन्जी,जौ के सत्तू का शरबत,विविध दोष रहित जूस, दही की लस्सी आदि इनमें आवश्यकतानुसार पुदीना,प्याज,धनिया सौंफ आदि का प्रयोग किया जा सकता है। कृत्रिम शीतल पेय बोतल बन्द या डिब्बे बन्द बासी तरल पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। घाट की राबड़ी जिसमें जौ का दलिया व छाछ होता है, लिया जा सकता है।
03 – यथोचित प्राणायाम, योग, व्यायाम (Proper pranayama, yoga, exercises) –
प्राणायाम, योग और सूक्ष्म व्यायाम किया जाना चाहिए शीतली, शीतकारी प्राणायाम अधिक उपयोगी है educationaacharya.com पर Tip to Top Exercise दो भागों में पहले दी जा चुकी हैं जो उपयोगी रहेंगी। सुविधा की दृष्टि से इसका लिंक यू ट्यूब (Education Aacharya) के डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दे दूँगा।[ https://youtu.be/-Pw39aG5-IQ, https://youtu.be/bl2uqMUk_f8] याद रखें मानसिक शान्ति भी शारीरिक शान्ति में योग देती है।
04 – फल, सब्जी और सुपाच्य भोजन (Fruits, vegetables and nutritious food) –
शारीरिक गर्मी पर नियन्त्रण हेतु भोजन सुपाच्य ही किया जाना चाहिए और भूख से कुछ कम लिया जाना चाहिए रात्रि के भोजन पर सर्वाधिक नियंत्रण की आवश्यकता है और यह सोने से कम से कम दो घण्टे पहले किया जाना चाहिए। भोजन से पहले आप पानी पी सकते हैं लेकिन भोजन के उपरान्त कम से कम आधा घण्टे जल न पीएं।
05 – मसालेदार, अधिक तले भुने,अधिक नमक व कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन नहीं
(Do not consume spicy, excessive fried, high salt and caffeinated substances) –
इस प्रकार के पदार्थ शरीर में अनावश्यक गर्मी का कारण बनाते हैं शरीर में पित्त ,एसिड आदि की वृद्धि के साथ वात, पित्त, कफ में असंतुलन पैदा कर विकार का कारण बनते हैं।
06 –मौसम के अनुसार वस्त्र (Clothing according to the season) –
गर्मियों में हल्के, ढीले वाले सूती वस्त्रों का प्रयोग किया जाना चाहिए।टाइट ,शरीर से चिपके वस्त्र नहीं पहनने से बचना चाहिए। रंगों के चयन में सावधानी रखें हुए हलके रंग प्रयोग में लाएं जाएँ। वस्त्र ऐसे हों जिससे शरीर को आराम मिले पूरी बाँह के वस्त्र पहनें।आवश्यकतानुसार अँगोछा लिया जा सकता है।
07 – नींद और स्नान (Sleep and bath) –
जहाँ सुबह उठकर दैनिक क्रियाओं में स्नान को स्थान मिला हुआ है वहीं निद्रा पूर्व स्नान अच्छी आरामदायक नीं दिलाता और शरीर की गर्मी पर नियन्त्रण रखता है यदि उस समय स्नान कर सकते तो पैरों को अच्छी तरह धोना अति आवश्यक है।
08 – पैर के तलवे की देखभाल (Foot care) –
रात्रि में सोने से पहले पैर धोने की बात ऊपर आ चुकी है यह क्रिया शीतल नैसर्गिक जल से हो बर्फ के पानी या फ्रिज के पानी से नहीं। इसके पश्चात अच्छी तरह गोले के असली तेल से तलवों की मसाज अवश्य करें और तलवे के प्रत्येक भाग को अंगुलियों के दवाब का अहसास कराएं आनन्द आएगा। इतनी मसाज करें की तेल सूख जाए।
यद्यपि गर्मी के प्रकोप के निदान में चिकित्सकीय परामर्श सर्वाधिक आवश्यक है लेकिन इलाज से पहले सावधानी के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता।