यदि मानव हो मानवता वाला काम करना है,
जीवन भर करना काम, ना विश्राम करना है,
जटिल स्थिति हों मन में, ना नैराश्य भरना है,
विषम परिस्थिति में खुदपर विश्वास करना है।
अवलम्बन को अखिलेश्वर का ध्यान करना है,
इक दूजे के सब कष्टों को मिल-जुल हरना है,
परिस्थिति कैसी भी हो, हम सबको लड़ना है,
हर रात का निश्चित प्रभात विश्वास करना है।
जीवन संघर्षों का रण, हर-पल याद रखना है,
प्रकृति प्रदत्त मस्तिष्क से सद्प्रयास करना है,
जीवन यापन नियत सभी को काम करना है,
अथक परिश्रम लायक शरीर तैयार करना है।
ब्रह्म मुहूर्त में तज आलस प्राणायाम करना है,
सम्भव यदि हो सके उचित व्यायाम करना है,
जीवट का कर सद्प्रयोग चेतनता भरना है,
वन्दन कर स्व ईष्ट का निश्चित काम करना है।
यथोचित सुन्दरअवसर की पहचान करना है,
प्रतिस्पर्धा में निजक्षमता पर विश्वास करना है,
राष्ट्र वाद के सुपोषण हित उपयुक्त बनना है,
ना हो भारत अवमान जाग्रत प्रहरी बनना है।
बदलते समय अनुसार, कदम-ताल करना है,
निश्चित होंगे कामयाब सहज विश्वास भरना है,
प्रतिकूल परिस्थितियों में ना हमको डरना है,
इकदूजे की बन प्रेरणा हमको जय करना है।
केवल कल्पना-लोक में ना विचरण करना है,
यथार्थ के धरातल पर दृढ़ अटलपग धरना है,
वेद और वैदिकता का सच्चाअर्थ समझना है,
उत्कृष्टता भारत की जगत में सिद्ध करना है।
गर इन्सां हो इन्सानियत का पोषण करना है,
इक दूजे पर ना मिथ्या दोषारोपण करना है,
स्व राष्ट्र-ध्वज का शान से आरोहण करना है,
ऊर्ध्वगमन पथ राष्ट्र का आलोकित करना है।