गरीबी एक घुन ही है
विरहा राग सुनाती है
सब टूटे हैं इसमें सपने
सोच में आग लगाती है ।
मेहनत मूल्य खुशहाली है
बात समझ नहीं आती है ।1।
ये सामजिक घुन ही है
इससे बदहाली आती है
शोषक को खून दिया तुमने
जीवित चिता जलाती है।
मेहनत मूल्य खुशहाली है
बात समझ नहीं आती है ।2।
बेहोशी का चिन्ह ही है
दरिद्री भाव जगाती है
निज शक्ति न पहचाने
ये तुम्हें बाँटती जाती है ।
मेहनत मूल्य खुशहाली है
बात समझ नहीं आती है ।3।
श्रम का भाग्य ऋण ही है
हर पीढ़ी को खा जाती है
नवपीढ़ी कैसे समृद्ध बने
यह नीति ऋणी बनाती है ।
मेहनत मूल्य खुशहाली है
बात समझ नहीं आती है ।4।
कर्मवीरों का खून ही है
डकार नहीं आ पाती है
भाग्य छीन खाया किसने
ये पोल नहीं खुल पाती है।
मेहनत मूल्य खुशहाली है
बात समझ नहीं आती है ।5।
देश को अभिशाप ही है
नैतिकता भुलाई जाती है
सबके सपने छीने जिसने
लक्ष्मी उसके घर आती है।
मेहनत मूल्य खुशहाली है
बात समझ नहीं आती है ।6।
गरीबी एक घुन ही है……