वो शरीफजादा सबको
हमसे कुलटा कहेंगे ?
वो करते हैं गलतियाँ
कब तक यूँ हम सहेंगे।
क्यों सोचती हो ये फिर
कि लोग क्या कहेंगे ?
शर्मो हया का गहना
हमको गारत करेंगे।
वो छेड़ते हैं हमको
क्या हम न कुछ कहेंगे ?
क्यों सोचती हो ये फिर
कि लोग क्या कहेंगे ?
बिन बात छेड़ हमको
वो फब्तियाँ कसेंगे।
कुछ काम करना हमको
कुछ गंदे जन मिलेंगे।
क्यों सोचती हो ये फिर
कि लोग क्या कहेंगे ?
वो बने गलतियों को
हम ही फिर क्यों सहेंगे।
दुष्टजन की दुष्टता को
परदे में क्यों रखेंगे ?
क्यों सोचती हो ये फिर
कि लोग क्या कहेंगे ?
बेहतर बनाओ तन को
अब हम न यूँ झुकेंगे।
दुष्ट विधर्मियों को
हम मसल कर रखेंगे।
क्यों सोचती हो ये फिर
कि लोग क्या कहेंगे ?
पहल तो होगी उनकी
हम खात्मा करेंगे।
दुनियाँ देखेगी हमको
हम सामना करेंगे।
क्यों सोचती हो ये फिर
कि लोग क्या कहेंगे ?
बिगड़े से शोहदों को
जब हम नकेल देंगे।
देखेंगे हिम्मतों को
अब हम ही दिशा देंगे।
क्यों सोचती हो ये फिर
कि लोग क्या कहेंगे ?
भटकी जवानियों को
यदि हम नहीं ठोकेंगे।
खुद को बिगाड़ घर को
ये बदनुमां करेंगे ?
क्यों सोचती हो ये फिर
कि लोग क्या कहेंगे ?