वक़्त की प्रस्तर शिला पर
हम लिखेंगे इक कहानी।
लोकतन्त्रीय देश भारत
न कोई राजा न कोई रानी।
भूखण्ड नहीं चेतन है भारत
बलिदानों की अमिट कहानी।1।
पुष्प सा कोमल ह्रदय पर
फौलाद सी अपनी रवानी।
मन करे प्रभु की इबादत
जीवन हो मगर बलिदानी।
भूखण्ड नहीं चेतन है भारत
बलिदानों की अमिट कहानी।2।
हे ईश्वर रक्षा करना पर
ऐसी ही है अपनी वानी।
कितनी भी करें खिलाफत
मरे नहीं आँखों का पानी।
भूखण्ड नहीं चेतन है भारत
बलिदानों की अमिट कहानी।3।
विश्वशान्ति की लौ मुखरित पर
आँधी अन्धड़ मन तूफानी।
बलिदानों की अपनी रवायत
रक्त से गाढ़ा देश का पानी।
भूखण्ड नहीं चेतन है भारत
बलिदानों की अमिट कहानी।4।
ज्वालामुखी मन में रहता पर
अधरों पर धीरज रघु वानी।
मर्यादा पर गर आई आफत
धरा रूप मदमस्त तूफानी।
भूखण्ड नहीं चेतन है भारत
बलिदानों की अमिट कहानी।5।
साक्ष्य हमारा सागर दिनकर
व्यर्थ नहीं अब तक कुर्बानी।
जो देश हित से करे बगावत
समझो नाथ वह ख़तम कहानी।
भूखण्ड नहीं चेतन है भारत
बलिदानों की अमिट कहानी।6।