‘मेरी माटी मेरा देश’ ये तुझे पुकारे आजा।
क्रान्ति का अनुपम सन्देशा, आकर हमें सुना जा।
है आज जरूरी हम को, तूँ सुन्दर स्वप्न दिखा जा।
सपने अपने करने की, तूँ कला कोई समझा जा।
पावन भारत, सुन्दर भारत, बस ये तूँ गढ़ता जा।
‘मेरी माटी मेरा देश’ ये तुझे पुकारे आजा।। 1 ।।
भारत के हर एक युवक में इच्छा शक्ति जगा जा।
कर्मठता का बीज मन्त्र भी आकर हमें सिखा जा।
तनमन सुन्दर करने का एक सुन्दर भाव जगा जा।
बहुत सोलिया अब तूँ, कुछ उथल पुथल करता जा।
‘मेरी माटी मेरा देश’ ये तुझे पुकारे आजा।। 2 ।।
हो बलशाली युवा यहाँ, सिद्धि मन्त्र सिखला जा।
अन्त निशा का हो जाए, ऐेसा दिन-मान जगा जा।
पूरब सी लाली छा जाए, ऐसा मार्तण्ड उगा जा।
हो सदा ओज का संरक्षण दिव्य कान्ति को पा जा।
‘मेरी माटी मेरा देश’ ये तुझे पुकारे आजा।। 3 ।।
जो सोता है वो खोता है, मन में सोच जगा जा।
पूर्वज श्रद्धा केन्द्र बनें, वो उन्नत भाव जगा जा।
रख सीने में आग ज्ञान का वो शोला भड़का जा।
शोलों से प्रतिमान नए हर पथ में तूँ गढ़ता जा।
‘मेरी माटी मेरा देश’ ये तुझे पुकारे आजा।। 4 ।।
चलना उठना, उठना गिरना चलन हमें समझा जा।
उठा भाल, संग क्रान्ति ज्वाल, ये सन्देशा फैला जा।
भारत उठता, बढ़ता चढ़ता, युवा शक्ति का राजा।
बनके ज्वार इसी शक्ति का शिखरों तक चढ़ता जा।
‘मेरी माटी मेरा देश’ ये तुझे पुकारे आजा।। 5 ।।