वो सियासत के बाज हैं और हम तो बस शिकार हैं,
वो खून से हैं रंगे हुए और हम तो बहती धार हैं,
मौत का कारण हैं वो, हम जिन्दगी की किताब हैं,
वो जीत का प्रतीक हैं और हम तो इन्कलाब हैं।
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