सुनो सुनो ये प्राण हमें सच्चे पथ पर ले जाता है,
तन, मन सौन्दर्य का उत्तम परिचय दे जाता है,
मज्जा, रुधिर व हड्डी का तन उपक्रम से नाता है,
आसक्ति से तन जुड़ना मन में भ्रम ले आता है ।
मुक्ति का सच्चा उपाय अष्टांग मार्ग दे जाता है ।1।
लाखों नसनाड़ियों से खिंचता तन का खाका है,
कंकाल तंत्र संग यह, साधन के रूप में आता है,
सदवैचारिक आलम्बन सर्वोत्तम पथ दे जाता है,
दुष्कर्म भाव पूर्णिमा को अमावस में ले जाता है।
मुक्ति का सच्चा उपाय अष्टांग मार्ग दे जाता है ।2।
ज्ञात नहीं नव पल कब क्या सन्देश दे जाता है,
ये पल विश्लेषण में सुख दुःख सब ले आता है,
दुःख सुख में समभाव रहो चेतनता में लाता है,
विषम स्थिति सद्भाव, प्रगति चरण दे जाता है।
मुक्ति का सच्चा उपाय अष्टांग मार्ग दे जाता है ।3।
जीवन के काल खण्ड में, जड़ चेतन में नाता है,
काल खण्ड पूर्ण करके, चेतन जड़ता दे जाता है,
जड़,चेतनता खेल आदि अन्त प्रभाव ले आता है,
मन, बुद्धि सीमावश तन माया प्रभाव में आता है।
मुक्ति का सच्चा उपाय अष्टांग मार्ग दे जाता है ।4।
माया भाव तम छंटना जाग्रत विवेक से आता है,
यम,नियम,आसन,प्राणायाम का बुद्ध से नाता है,
प्रत्याहार,धारणा,ध्यान,समाधि सुपथ ले आता है,
इनपर उचित अमल करना सही मार्ग दे जाता है।
मुक्ति का सच्चा उपाय अष्टांग मार्ग दे जाता है ।5।
कार्मिक लेखा प्रभाव जीवन में रंग ले आता है,
मानवता से देवत्व पथ सारे विकार ले जाता है,
विकार विनष्टि क्रम मानस तम हर ले जाता है,
अज्ञान नाथ यूँ मिट जाना मोक्ष मार्ग दे जाता है,
मुक्ति का सच्चा उपाय अष्टांग मार्ग दे जाता है ।6।