काम को दायित्व समझो,
फिर बोझ सा हट जाएगा।
एैसा जब स्वतः करोगे
तब नूतन सवेरा आएगा ।1।
मानव हो मानवता समझो,
कर्तव्य – बोध तब आएगा।
स्वकलुष जब धुलने लगोगे,
जग प्रेममय हो जाएगा ।2।
पहले समय के भाव समझो
तब मौसम समझ में आएगा।
हर काल से तब लय करोगे,
यह जीवन मुस्कुराएगा ।3।
ज्ञान से जड़ चेतन समझो,
तब मूल्य बढ़ता जाएगा।
नेतृत्व तब करने लगोगे,
सम्भव सब हो जाएगा ।4।
समय को बहुमूल्य समझो,
तब ही समझ में आएगा।
मूल्य ज्यों गिनने लगोगे,
ये भारत समझ में आएगा ।5।
सजग हो पुरुषार्थ समझो,
तब जग समझ में आएगा।
संस्कृति समझने जब लगोगे,
सब पता ‘नाथ’ लग जाएगा ।6।