समावेशी शिक्षा
समावेशी शिक्षा से विस्तृत परिक्षेत्र सम्बद्ध है यहाँ अधोलिखित तीन बिन्दुओं पर मुख्यतः विचार करेंगे।
1 – समावेशन की अवधारणा और सिद्धान्त /Concept and principles of inclusion
2 – समावेशन के लाभ / Benefits of inclusion
3 – समावेशी शिक्षा की आवश्यकता / Need of inclusive education
समावेशन की अवधारणा और सिद्धान्त /Concept and principles of inclusion –
जब हम समावेशन की बात करते हैं तो यह जानना परमावश्यक है कि यह किनका करना है। समाज में बहुत से लोग हाशिये पर हैं शिक्षण संस्थाओं में अधिगम करने वाले विविध वर्ग हैं कुछ में शारीरिक, कुछ में मानसिक क्षमताएं, अक्षमताएं विद्यमान हैं। हमारे विद्यालयों में अध्यापन करने वाला व्यक्ति समस्त अधिगमार्थियों से उनकी क्षमतानुसार अधिगम क्षेत्र उन्नयन हेतु पृथक व्यवहार कर सभी का समावेशन करना चाहता है।
समावेशन वह क्रिया है जो विविधता युक्त व्यक्तित्वों में निर्दिष्ट क्षमता समान रूप से स्थापन करने हेतु की जाती है।
गूगल द्वारा समावेशन सिद्धान्त तलाशने पर ज्ञात हुआ –
“समावेशी शिक्षण और शिक्षण सभी छात्रों के सीखने के अनुभव के अधिकार को पहचानता है, जो विविधता का सम्मान करता है, भागीदारी को सक्षम बनाता है, बाधाओं को दूर करता है और विभिन्न प्रकार की सीखने की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर विचार करता है।“
“Inclusive teaching and learning recognizes the right of all students to a learning experience that respects diversity, enables participation, removes barriers and considers a variety of learning needs and preferences.”
समावेशन का यह प्रयास विविध क्षेत्रों में विविध प्रकार से हो सकता है लेकिन यदि हम केवल शिक्षा के दृष्टिकोण से इस पर विचार करें तो प्रसिद्द शिक्षाविद श्री मदन सिंह जी(आर लाल पब्लिकेशन) का यह विचार भी तर्क सङ्गत है –
“शिक्षा के क्षेत्र में समावेशी शिक्षा का अर्थ है – विद्यालय के पुनर्निर्माण की वह प्रक्रिया जिसका लक्ष्य सभी बच्चों को शैक्षणिक और सामाजिक अवसरों की उपलब्धता से है। ”
“In the field of education, inclusive education means the process of restructuring of schools aimed at providing educational and social opportunities to all children.”
समावेशी शिक्षा की प्रक्रियाओं में अधिगमार्थी की उपलब्धि, पाठ्य क्रम पर अधिकार, समूह में प्रतिक्रया, शिक्षण, तकनीक, विविध क्रियाकलाप, खेल, नेतृत्व, सृजनात्मकता आदि को शामिल किया जा सकता है।
समावेशन के लाभ / Benefits of inclusion –
चूँकि हम शैक्षिक परिक्षेत्र में सम्पूर्ण विवेचन कर रहे हैं अतः समावेशी शिक्षा के लाभों पर मुख्यतः विचार करेंगे। इस हेतु बिन्दुओं का क्रम इस प्रकार संजोया जा सकता है।
01- स्वस्थ सामाजिक वातावरण व सम्बन्ध / Healthy social environment and relationships
02- समानता (दिव्याङ्ग व सामान्य) / Equality
03- स्तरोन्नयन / Upgradation
04 – मानसिक व सामाजिक समायोजन / Mental and social adjustment
05- व्यक्तिगत अधिकारों का संरक्षण / Protection of individual rights
06- सामूहिक प्रयास समन्वयन / Coordination of collective efforts
07- समान दृष्टिकोण का विकास / Development of common vision
08- विज्ञजनों के प्रगति आख्यान / Progress stories of experts
09- समानता के सिद्धान्त को प्रश्रय / Support the principle of equality
10- विशिष्टीकरण को प्रश्रय / Support for specialization
11- प्रगतिशीलता से समन्वय / Progressive coordination
12- चयनित स्थानापन्न / Selective placement
समावेशी शिक्षा की आवश्यकता / Need for inclusive education –
जब समावेशी शिक्षा की आवश्यकता क्यों ? का जवाब तलाशा जाता है तो निम्न महत्त्वपूर्ण बिन्दु दृष्टिगत होते हैं –
01- सौहाद्रपूर्ण वातावरण का सृजन / Creation of harmonious environment
02- सहायता हेतु तत्परता / Readiness for help
03- परस्पर आश्रयता की समझ का विकास / Development of understanding of mutual support
04- जैण्डर सुग्राह्यता / Gender sensitivity
05- विविधता में एकता / Unity in diversity
06- सम्यक अभिवृत्ति विकास / Proper attitude development
07- अद्यतन ज्ञान से सामञ्जस्य / Alignment with updated knowledge
08- विश्व बन्धुत्व की भावना को प्रश्रय / Fostering the spirit of world brotherhood
09- हीनता से मुक्ति / Freedom from inferiority
10- मानसिक प्रगति सुनिश्चयन / Ensuring mental progress