वैश्वीकरण
का अर्थ (Meaning of Globalization) –
वैश्वीकरण विचारों का वह प्रवाह है जिससे सम्पूर्ण विश्व लाभान्वित होता है, वैश्वीकरण आंग्ल भाषा के शब्द Globalization का हिन्दी रूपान्तरण है विकिपीडिया के अनुसार – वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ स्थानीय या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपान्तरण की प्रक्रिया है इसे एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है जिसके द्वारा पूरे विश्व के लोग मिलकर एक समाज बनाते हैं तथा एक साथ कार्य करते हैं। यह प्रक्रिया आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक और राजनीतिक ताक़तों का एक संयोजन है।
यद्यपि इसकी परिभाषा को लेकर विविध मत दिखाई पड़ते हैं ऐसा लगता है की वैश्वीकरण का चोला ओढ़कर भारत की वसुधैव कुटुम्बकम की धारणा ही अपना प्रभाव दिखा रही है।
विकिपीडिया की इस परिभाषा को विविध विद्वानों द्वारा विशेष महत्त्व प्रदान किया गया –
“Globalization, or globalisation, is the process of interaction and integration among people, companies, and governments worldwide.”
“वैश्वीकरण, या वैश्वीकरण, दुनिया भर में लोगों, कंपनियों और सरकारों के बीच बातचीत और एकीकरण की प्रक्रिया है।”
टर्बर्टसन के अनुसार –
“Globalization is a concept that is related to the shrinking of the world and the consciousness and closeness of the whole world.”
“वैश्वीकरण एक ऐसी अवधारणा है जिसका सम्बन्ध विश्व के सिकुड़ने तथा पूरे विश्व की चेतना और घनिष्ठता से है।”
वैश्वीकरण को अधिगमित करने हेतु कहा जा सकता है कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया में सम्पूर्ण जगत का एकीकरण एक परिवार के रूप में होता है और लोग अपनी आर्थिक, भौगोलिक, राजनीतिक, और सामाजिक दूरियों को मिटाकर एकीकृत होते हैं। इससे भौगोलिक दूरियाँ सिमट जाती हैं।
वैश्वीकरण और शिक्षा (Globalization and Education) –
वैश्वीकरण और शिक्षा आज एक दूसरे की आवश्यकता बन गए हैं जहाँ वैश्वीकरण हेतु शिक्षा की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता वहीं यह कहने में भी कोइ अतिशयोक्ति नहीं कि शिक्षा पर वैश्वीकरण का प्रभाव स्पष्ट पारिलक्षित होता है। ये दोनों आपस में एक दूसरे से इतने गुत्थमगुत्था हैं कि दोनों की एक दूसरे पर अन्योन्याश्रिता स्पष्ट महसूस की जा सकती है। इन सम्बन्धों को इन बिंदुओं द्वारा और स्पष्ट किया जा सकता है –
01 – उद्देश्य निर्धारण/Objective setting
02 – विविधता / Diversity
03 – व्यक्तिगत और सामाजिक विकास / Personal and Social Development
04 – श्रेष्ठ नागरिक निर्माण/ best citizen building
05 – संचार माध्यम का कुशल प्रयोग/Efficient use of media
06 – सांस्कृतिक उन्नयन/ Cultural upgrade
07 – जनतन्त्र अभ्युत्थान/ Democracy Resurgence
08 – स्वस्थ प्रतिस्पर्धा/ Healthy Competition
09 – समरसता वृद्धि/ Harmony Growth
वैश्वीकरण का शिक्षा के उद्देश्यों पर प्रभाव (Impact of Globalization on the Objectives of Education) –
वर्तमान समय यह माँग कर रहा है कि वैश्वीकरण की जरूरतों को समझा जाए और उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु शिक्षा के उद्देश्यों में परिवर्तन आज की आवश्यकता है .बदलते वैश्विक परिदृश्य में जहाँ स्व के मूल्यों, मौलिकताओं, संस्कृति व रीति रिवाजों का संरक्षण आवश्यक है वहीं वक़्त के साथ कदमताल भी आवश्यक है अतः वैश्वीकरण का शिक्षा के उद्देश्यों पर पड़ने वाले प्रभावों को सतर्कता के साथ अंगीकार करना होगा या नियन्त्रित रखना होगा . वर्तमान हेतु आवश्यक उद्देश्यों को इस प्रकार क्रम दिया जा सकता है –
1 – सहअस्तित्व की स्वीकार्यता / Acceptance of coexistence
2 – वैश्विक एकता को बढ़ावा / Promoting global unity
3 – व्यापक दृष्टिकोण का विकास / Development of Broad Perspective
4 – स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मक भावना का विकास / Development of healthy competitive spirit
5 – आधुनिकता का समावेशन / Absorption of modernity
6 – व्यावसायिक कुशलता को महत्त्व / Importance of professional skills
उक्त उद्देश्य आज के वैश्वीकरण की आवश्यकता भी हैं और मानव के संरक्षण हेतु आवश्यक भी अतः इन्हें शिक्षा को अंगीकार करना ही होगा .
वैश्वीकरण का मूल्याँकन / Evaluation of globalization –
वर्तमान ने मानव को उस स्थल पर लाकर खड़ा कर दिया है जहाँ प्राचीन भारतीय सह अस्तित्व व सह विकास के भाव का पोषण वैश्वीकरण के रूप में पारिलक्षित हुआ है .वैश्वीकरण के मूल्यांकन हेतु उसके लाभ व सीमांकन का विश्लेषण करना समीचीन होगा .जिसे इस प्रकार क्रम दे सकते हैं .
वैश्वीकरण से लाभ / Benefits from globalization –
1 – विश्व व्यापार को बढ़ावा / boost world trade
2 – वैश्विक समस्या का समाधान / global problem solving
3 – विश्व बन्धुत्व को बढ़ावा / promotion of universal brotherhood
4 – तकनीकी सुविधाओं का विकास / development of technical facilities
5 – वैश्विक ज्ञान प्राप्ति / global knowledge acquisition
6 – राष्ट्रीय सशक्तीकरण / national empowerment
वैश्वीकरण की सीमाएं / Limitations of Globalization –
1 – अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा / unhealthy competition
2 – नैतिक मूल्य अवनमन / moral degradation
3 – राष्ट्रीय आय दुष्प्रभावित / national income affected
4 – प्रतिभा पलायन / brain drain
5 – नव शिक्षण प्रतिभा विकास में बाधक / Barriers to new teaching talent development
6 – विकासशील राष्ट्रों को क्षति / damage to developing nations
उक्त लाभों व सीमाओं को दृष्टिगत रखते हुए यह महसूस किया जा सकता है कि वैश्वीकरण आज की आवश्यकता है लेकिन प्रत्येक राष्ट्र को इसे राष्ट्रोन्नयन के आलोक में देखना होगा. बिना सहअस्तित्व व परस्पर सहयोग की भावना विकसित हुए वैश्वीकरण के सात्विक लक्ष्यों की प्राप्ति दूर की कौड़ी ही सिद्ध होगी. यद्यपि इसके सकारात्मक प्रभाव अधिक पारिलक्षित होते हैं और यह उचित ही होगा कि समस्त राष्ट्र सकारात्मकता के आलोक में सामान आचार संहिता बना तत्सम्बन्धी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करें .