उदारीकरण से आशय / Meaning of Liberalization
आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद कुछ सङ्कीर्ण नेतृत्व शक्तियों की स्वार्थपरता के कारण घाटे का सौदा रहा है और हमारी उदारता हमें बहुत भारी पड़ी है एक रुपया बराबर एक डॉलर से प्रारम्भ सफर आज रुपए के भारी अवमूल्यन तक जा पहुँचा है। उदारीकरण विश्व बन्धुत्व या वैश्विक परिवार के विचार तले पनपने वाली सह अस्तित्व वाली विचार धारा है।
यहाँ जिस उदारीकरण की बात की जा रही है वह शैक्षिक परिक्षेत्र से सम्बन्धित है। पहले राजा, जमींदार, प्रजा, कारिन्दे आदि शब्द आम थे और शासक वर्ग व कार्य करने वाले वर्ग हेतु अलग अलग तरह की शिक्षा का प्रावधान था और यह अन्तर कार्य की प्रकृति के कारण था धीरे धीरे राजा राजवाड़ा वाली व्यवस्था बदल गई और शिक्षा का भेद भी पुरानी बात हो गई। आज अधिकाँश जगह लोकतान्त्रिक व्यवस्था है और शिक्षा की एक उदार व्यवस्था है जो किसी से कोई भेद नहीं करती।
उदारवादी शिक्षा से आशय / Meaning of liberal education –
वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य यह परिलक्षित करता है कि आज सभी को सभी विषय पढ़ने का अधिकार है। योग्यता, रूचि और आर्थिक क्षमता के आधार पर किसी भी शैक्षिक विषय का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है इसी को उदारवादी शिक्षा के नाम से जाना जाता है।
प्रसिद्द शिक्षाविद सुरेश भटनागर व मुनेन्द्र कुमार अपनी पुस्तक ‘समकालीन भारत और शिक्षा’ में लिखते हैं –
“उदार शिक्षा सामान्य शिक्षा है, जिसमें साहित्य, कला, सङ्गीत, इतिहास,नीति शास्त्र,राजनीति आदि की शिक्षा की प्रधानता होती है।”
“Liberal education is general education, in which education of literature, art, music, history, ethics, politics, etc. has priority.”
इन विद्वानों ने उदारवादी शिक्षा से इतर अर्थों में उपयोगिता वादी शिक्षा को लेते हुए कहा –
“उपयोगितावादी शिक्षा में आर्थिक प्रश्न जुड़े रहते हैं। यह व्यावसायिक, कार्योन्मुख, क्रिया केन्द्रित, अर्थोपार्जन व जीविको पार्जन के उद्देश्यों को लेकर चलती है। इसमें कला, शिल्प, व्यवसाय, रोजगार परक विषयों की प्रधानता होती है।”
“Economic questions remain attached to utilitarian education. It runs for the purposes of vocational, work-oriented, activity-oriented, earning and earning a living. There is importance of art, craft, business, employment-oriented subjects in this.”
आज की उदारवादी शिक्षा में उक्त दोनों के दर्शन होते हैं व्यवहार में कोइ भेद नहीं दीखता। कतिपय विद्वान् आज के परिदृश्य में उदारवादी और उपयोगितावादी शिक्षा के विचार की उपादेयता नहीं स्वीकारते।
उदारवादी शिक्षा का महत्त्व / Importance of liberal education :-
वर्तमान परिदृश्य हमें उदार होने हेतु निर्देशित अवश्य करता है लेकिन पूर्ण सावधानी की आवश्यकता को नकारा नहीं जा सकता। हमें ध्यान रखना होगा की हमारी उदारता हमें और आने वाली पीढ़ी के लिए नुकसान दायक न बन पड़े। निःस्वार्थ भाव से और सचेष्ट रहकर उदारवादी शिक्षा अपनाने के महत्त्व को इस प्रकार बिन्दुवार वर्णित किया जा सकता है –
1 – आत्म अनुशासन स्थापन / Self discipline
2 – उत्तरदायित्व युक्त स्वतन्त्रता / Freedom with responsibility
3 – सकारात्मक व्यक्तिगत उद्देश्य निर्धारण / Positive personal goal setting
4 – संस्थागत उच्च प्रतिमान स्थापन / Institutional high standard setting
5 – सह अस्तित्व धारणा का विकास / Development of coexistence concept
6 – ध्येय उन्मुख / Goal oriented
7 – स्वावलम्बन व उच्च आदर्श स्थापन / Self reliance and high ideal setting
8 – सद्प्रेरणा / motivation
9 – संस्कृति व सभ्यता का संरक्षण व विकास / Protection and development of culture and civilization
उदारीकरण का मूल्याँकन / Evaluation of Liberalization
उदारीकरण के निष्पक्ष मूल्याङ्कन हेतु उसके लाभों और सीमाओं पर दृष्टिपात करना आवश्यक है आइए इस के प्रमुख बिन्दुओं पर विचार करते हैं।
उदारीकरण के लाभ / Benefits of liberalization –
1 – स्वस्थ प्रतिस्पर्धा / healthy competition
2 – विश्व स्तरीय उत्पादन /World class production
3 – उत्पादन क्षमता में वृद्धि / Increased production capacity
4 – तुलनात्मक ज्ञानात्मक वृद्धि / Comparative cognitive growth
5 – शोध स्तर का उच्चीकरण / Upgradation of research level
6 – तुलनात्मक अध्ययन सम्भव / Comparative study possible
उदारीकरण की सीमाएं / Limitations of Liberalization –
उदारीकरण के लाभ अधिकाँश सैद्धान्तिक हैं व्यावहारिक रूप से इसकी कमियाँ जग जाहिर हैं जिन देशों में राष्ट्रवादी ज्वार देखने को नहीं मिलता या काम मिलता है वहाँ इसके नकारात्मक प्रभाव अधिक देखने को मिलते हैं। यथा –
1 – स्वदेशी उद्योगों पर सङ्कट / Crisis on indigenous industries
2 – बहुराष्ट्रीय उद्योगों का बेलगाम प्रभाव / Rampant influence of multinationals
3 – शोध साहित्य की निर्बाध चोरी / Open plagiarism
4 – मूल्यों में अवनमन / Depression in Values
5 – राजनीतिक भ्रष्टाचार को बढ़ावा / Promotion of political corruption
6 – मुद्रा अवमूल्यन / Currency devaluation
7 – राष्ट्रीय हितों का ह्रास / Loss of national interest
8 – स्वदेशी तकनीक को नुकसान / Loss of indigenous technology
9 – अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा / Unhealthy competition
उदारीकरण के सच्चे लाभ आदर्श वैश्विक परिदृश्य में ही सम्भव है सारे राष्ट्र अपने दृष्टिकोण से विचार करते हैं और अभी ऐसी स्थिति नहीं बनी है सारे राष्ट्र, विश्व को एक परिवार मानने लगे इसीलिये भारत को बहुत सोच समझ कर सीमित उदारीकरण को राष्ट्रोत्थान के दृष्टिकोण से करना होगा। स्वयम पहल करके विश्व स्तरीय नेतृत्व को दिशा दी जा सकती है लेकिन हवन करते हाथ नहीं जलने चाहिए।