किसी भी देश का उत्थान और पतन उस देश की सोच पर निर्भर करता है लेकिन कुछ भटके और विकृत मानसिकता वाले लोग देश और देश के संसाधनों को अपूरणीय क्षति पहुँचाना चाहते हैं ऐसी स्थिति में सजग मस्तिष्क और देश से सच्चे प्रेम की नितान्त आवश्यकता है हमें राष्ट्रवाद का सच्चा प्रहरी बनाना ही होगा.
उठो साथियों ! हम अपना हिन्दुस्तान गढ़ते हैं,
वो नफरत व वो रंजो गम सिरे से ही कुचलते हैं।
ये तेरा है वो मेरा है इसी पर काम करते हैं,
हमारा है ये हिन्दोस्तां इसी से प्यार करते हैं।।
इस अच्छे काम के आगे बहुत अवरोध आएंगे ,
नकली ज्ञान के पण्डे व कठमुल्ले बहकायेंगे।
सब अपना है समझ लेना नहीं तो ये भिड़ायेंगे ,
नहीं भिड़ना नहीं लड़ना पड़ोसी काम आएंगे।
कभी भाषा कभी मज़हब पर क्यूँ कोहराम करते हो ,
इस प्यारे देश की संस्कृति को क्यूँ बदनाम करते हो।
क्यों अपने देश की सम्पत्ति का नुकसान करते हो ,
न इससे मसले कम होंगे ,तुम क्यूँ नहीं समझते हो।।
जो चाहे देश का दुश्मन ,वही सब तुम ही कर दोगे ,
तो फिर प्यारा और ताक़तवर हिन्दुस्तान कैसे गढ़ लोगे।
जगो जगकर हम सब ,फिर एक काम करते हैं,
मनन का और सृजन का कृत्य अपने नाम करते हैं।।
हिन्दोस्ताँ को गढ़ने का कुछ काम जब हम कर लेंगे,
कुछ काम हमको करना है मिलकर हम जब समझ लेंगे।
तब स्वच्छता,आरोग्य तकनीकी का वह उत्थान आएगा ,
भरोसा अपना जागेगा और भारत मुस्कुराएगा।।
कठिन है काम साथियो मगर फिर भी हम कर लेंगे,
सभी का साथ मिल जाए सफ़र पूरा हम कर लेंगे।।
सभी की शिक्षा और जागरण का काम करना है ,
हमारा है यही भारत जगत में नाम करना है।।
नहीं थकना ,नहीं रुकना ,करम अविराम करना है ,
जागकर और देखकर संभल कर काम करना है।
सामाजिक एकता का वो मंज़र अब अपने नाम करना है ,
ये भारत अपना भारत है इसी को प्यार करना है।।
आओ कल के सशक्त भारत का हम इन्तज़ाम करते हैं ,
गुणवत्तायुक्त शिक्षा हो इसी पर काम करते हैं।
मिलेंगे हम ,बढ़ेंगे हम ,ये किस्सा आम करते हैं ,
हमारा है ये हिन्दोस्ताँ इसी से प्यार करते हैं।।
—–डॉ 0 शिव भोले नाथ श्रीवास्तव