बनकर नैतिकता तुम

कमियों का क्षरण कर दो।

बन जाओ शक्ति मेरी

जीवन को सबल कर दो।

ना कोई क्रन्दन हो

शुभ कर्म का अभिनन्दन।

सद्कर्म करे कोई

तो दिखता अच्छा मन।

नयी लीक पकड़ कर तुम

रूढ़ि का अन्त कर दो।

बनकर नैतिकता तुम

कमियों का क्षरण कर दो।

मानव का स्वार्थीपन

ना दीखे इस जग में।

सब कुछ खोकर अपना

बस प्रीत प्रबल कर दो।

बस प्रीत प्रबल कर दो।

बनकर नैतिकता तुम

कमियों का क्षरण कर दो।

अवसर छीने हमसे

हमें जो भी लगे अच्छे

सब सफल हुए अबतक

हम हो न सके अच्छे।

प्रभु साथ हमें देकर

जीवन को सफल कर दो।

बनकर नैतिकता तुम

कमियों का क्षरण कर दो।

बन जाओ शक्ति मेरी

जीवन को सबल कर दो।

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