निश्चित रूपेण हम सबको मिल होली का सदअर्थ निकालना होगा,
होली को हुड़दंगियों से बचाकर,उपयुक्त नवसाँचे में ढालना होगा।
वर्तमान होलिका दहन से पूर्व प्रहलाद को गोद से निकालना होगा,
बुरी शक्ति का दहन सुनिश्चित कर, सृजनशक्ति को दुलारना होगा।

खुशियाँ मनाओ, लेकिन इसमें छिपी कुटिलता को दुत्कारना होगा।
वासना, प्रपञ्च,दुर्भावना जोर जबरदस्ती के भावों को जलाना होगा,
प्रेम का अनन्तसागर छिपा है,इसमें इसे मथ नेहरंग उड़ाना होगा,
कलुषता की कींच गन्दगी से बचा प्राकृतिक शोखरंग बनाना होगा।

खुश रहो,अच्छा खाओ,मस्त रहो पर मय छलकाने से बचना होगा,
वक़्ती झंझावातों से विकृत मष्तिष्क, कल्याण पथ पर डालना होगा।
पड़ोसी देश के छलावे से बच, स्वदेश प्रेम का रंग निखारना होगा,
कुछ भी,कुछ भी हो पर स्वदेशी रंग ही इक दूजे पर डालना होगा।

होली को बदले की कु दृष्टियों से बचा स्नेहिल गुलाल उड़ाना होगा,
हम सब एक ही ईश्वर के बन्दे हैं,इस भाव से अबीर लगाना होगा।
सामाजिक पारस्परिक सम्बन्धों को, पुनः मधुर प्रगाढ़ बनाना होगा,
आपस में सच्चे अनुबन्धों के स्थापन से, अलगाव को भगाना होगा

हरीतिमा युक्त पात, अन्न युक्त धरा गात को सप्रेम निहारना होगा,
इसमें छिपे बदलाव के सकारात्मक सन्देशों को पहचानना होगा।
अलगाववादी रंग के बिखराव पूर्व हमें सौहाद्र रंग निखारना होगा,
देश के दुश्मन रंग बदरंग करते हैं,उनको निश्चित ही मारना होगा।

मूल भूत आवश्यकता पूर्ति हेतु, उन्नत सशक्त साधन बनाना होगा,
हरएक हिन्दुस्तानी को देश हित सच्चा फाग तनमन से गाना होगा।
जो निवाले छिने हैं श्रमवीरों के उसे वापस उन तक पहुँचाना होगा,
होली है,होली है की मस्ती के संग देश को ऐक्यरंग से नहाना होगा।

संख्यात्मक मान सवाअरब है अब तो गुणात्मक मान बढ़ाना होगा,
देश तोड़ने की प्रत्येक साजिश को मुकम्मल ढंग से नकारना होगा।
जोश में होश खोने वाले हम वतनों, देश को फिरसे सँवारना होगा,
खुश रहें और खुश रहने दें, इस मौलिक भाव से रंग डालना होगा।

इससे पहले कि खून उतरे आँखों में हमें नेहभाव से निहारना होगा,
देशद्रोह की परिधि में आने वाले दुष्टों को हिन्दुस्तान से जाना होगा।
प्यारे हिन्दुस्तान की पावन मिट्टी से गद्दारी का रंग तो मिटाना होगा,
मानव कल्याण पथ प्रशस्ति हेतु,देश को प्रेम का रंग लगाना होगा।

विश्व, बाजार हो चला है हिन्दोस्ताँ वालों को यह सब जानना होगा,
देश के उद्योग धन्धों को संवर्द्धित कर सही रास्ता निकालना होगा।
सच में होली के आनन्द हेतु दबे कुचलों को निवाला दिलाना होगा,
तन अबतक रँगा है हमने,मन को सदरंग की पहुँच में लाना होगा।

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