देश प्रेम का गौरव जागे देश प्रेम हित आरती,

लहू देश में धरती मांगे केसरिया बाना धारती,

मातृशक्ति है देशशक्ति अपना तनमन वारती,

देश पुनः सिर मौर बने ये सारी जनता गावती।

हे वीरों तुम सबसे गर्वित, ये प्यारी माँ भारती ।1।

स्वास्थय ध्यान नहीं रखते यही भावना सालती,

क्यों अपना अहित करे जनता क्यों ना मानती,

क्या उचित क्या अनुचित येकहे येसब जानती,

सारी वसुधा स्वस्थ रहे, ये वर ईश्वर से मांगती।   

 हे वीरों तुम सबसे गर्वित, ये प्यारी माँ भारती । 2 ।

व्यायाम है आवश्यक दुर्बुद्धि नहीं यह मानती,

आलस्य पसन्द जिन्हे उन्हें ये दुर्भावना मारती,

मजबूत तन मन जरूरी चेतना स्व को ढालती,

स्वेद गिरा इस धरती पर वह मज़बूती पावती।

हे वीरों तुम सबसे गर्वित, ये प्यारी माँ भारती। 3 ।

सभी देश पे तनमन वारें यही अदा है भावती,

इसी देशहित जियें मरें हम मर्यादा है चाहती,

आओ रूढ़ी तोड़ें सारी भारत माँ यह मांगती,

यही वक़्त की माँग, दिखा स्वदेश की जाग्रती। 

हे वीरों तुम सबसे गर्वित, ये प्यारी माँ भारती। 4 ।

बहे सुरभित पवन, विकसित कुसुमित मालती,

विजय होगी निश्चित मुश्किल ठोकर से भागती,

आत्म संयम विश्वासयुक्त ये अनुशासन मांगती,

भेदभाव का मैल मिटा कल्याण भावना जागती।

हे वीरों तुम सबसे गर्वित, ये प्यारी माँ भारती। 5 ।

परिवर्तन शाश्वत नियम ये सारी दुनियाँ जानती,

जानती ये सच जगत का पर क्यों ना ये मानती,

विजय सुनिश्चित जब निर्विकल्प संकल्प धारती,

हम सब मिल संघर्ष करें, सशक्त हो माँ भारती।                

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