इस प्रकृति की जितनी भी सुखद सी धारणाएं हैं,
सभी शिव को समर्पित हैं सभी में शिव समाए हैं।
सभी मंगल विचारों की, लड़ी ये मति बनाती है,
बुद्धि जुड़ती है तब शुभ से,जब उत्तम भावनाएं हैं।
शुभ रात्रि है शिव रात्रि, नव चिन्तन की दशाएँ हैं।1।
बहुत से भेद रच डाले, अब विविध सी वर्जनाएं हैं,
धैर्य धारण, प्रबल क्षमता, जो नन्दी ने दिखाए हैं,
उसी आलोक में क्षमता सृजन पथ को बनाती है।
चलो छोड़ो संकीर्णताएं ये सब तम की विमाएँ हैं।
शुभ रात्रि है शिव रात्रि, नव चिन्तन की दशाएँ हैं।2।
शिव के संग पार्वती होना, पुरुष प्रकृति कलाएं हैं,
जन्मेजय संग गणेश शोभित सृजन की भंगिमाएं हैं,
शक्ति संग हो शिव की पूजा सुखद संयोग लाती है।
शुभता घर में प्रश्रय पाती, सुखद सब कल्पनाएं हैं।
शुभ रात्रि है शिव रात्रि, नव चिन्तन की दशाएँ हैं।3।
सुख – दुःख का आना जाना मनस की ही दशाएं हैं,
शक्ति शिव में, शिव शक्ति में अद्भुत सी छटाएं हैं,
पर्वतमाला कैलाश की, परिस्थिति विषम दर्शाती है।
विषमता में आनन्द दर्शन प्रभु की प्रत्यक्ष शिक्षाएं हैं।
शुभ रात्रि है, शिव रात्रि, नव चिन्तन की दशाएँ हैं।4।
सुख में दुःख, दुःख में सुख, दिनरात सी धारणाएं हैं,
काल रात्रि के चिन्तन से, समदृष्टा भाव जग आए हैं,
महा काल स्वागत करना शिव रात्रि हमें सिखाती है,
चाहे जो भी अब आये जाए, सम दृष्टा हेतु कलाएं हैं।
शुभ रात्रि है शिव रात्रि, नव चिन्तन की दशाएँ हैं ।5।
केदार,नागेश्चल,वैद्य नाथ,त्रयम्बकेश्वर में जो छटाएँ हैं,
मल्लिकार्जुन, भीम शंकर,सोम,विश्वनाथ सी कृपाएं हैं
ओंकारेश्वर, घृष्णेश्वर शक्ति, नाथ जो दिशा दिखाती है
महाकालेश्वर, रामेश्वर सब प्रभु की विशद कलाएं हैं।
शुभ रात्रि है, शिव रात्रि, नव चिन्तन की दशाएँ हैं ।6।