आओ चलो, हम हर घर बसन्त करते हैं,

जीवन कल्याणार्थ रोम रोम संत करते हैं,

क्या करें ऐसा कि सुख अभिराम हो जाए,

इस हेतु आओ दुःख की पड़ताल करते हैं।

यह जीवन हम सद्भावना के नाम करते हैं।।

मुख्य सुख आरोग्य, इस पर काम करते हैं,

स्वास्थय सुधार हेतु हम प्राणायाम करते हैं,

सुबह ब्रह्म मुहूर्त योगासन के नाम हो जाए,

योगासन के प्रसार हेतु हम प्रयाण करते हैं।

यह जीवन हम सद्भावना के नाम करते हैं।।

परम दुःख अज्ञानता इस पर वार करते हैं,

विज्ञजन उठें भ्रमण से ज्ञान प्रसार करते हैं,

सद्ज्ञान प्रसार में जनजन का साथ हो जाए,

इसके प्रसार हित विवेकयुक्त काम करते हैं।    

यह जीवन हम सद्भावना के नाम करते हैं।।

ईर्ष्या एवं क्रोध पर संयम का बाँध रखते हैं,

दूजे के सुख से न जलने का काम करते हैं,

क्यों न हम सबमें प्रति-स्पर्धा भाव हो जाए,

स्वस्थ प्रति-स्पर्धा विकास में आओ रमते हैं।

यह जीवन हम सद्भावना के नाम करते हैं।।

और,और भाव से बचने का काम करते हैं,

सन्तोषम परम सुखम पुनः प्रधान करते हैं,

केवल आवश्यकता भर इन्तज़ाम हो जाए,

न्यूनतम आवश्यकता की पहचान करते हैं।

यह जीवन हम सद्भावना के नाम करते हैं।।

हम स्वस्थ हों निरोग हों ये प्रयास करते हैं,

सभी के काम आ सकें ऐसा नाम करते हैं,

जीवन अपने ही नहीं सबके काम आ जाए,

आओ स्वहित, सर्वहित पर कुर्बान करते हैं।  

यह जीवन हम सद्भावना के नाम करते हैं।।

Share: