पुस्तक समीक्षा एक अत्याधिक महत्त्वपूर्ण कार्य है क्यों कि पुस्तक का लेखक जहाँ अपने मानस से निकाल कर विषय वस्तु सम्पूर्ण जनमानस को परोसता है वहीं समीक्षक के शब्द, जो की गरिमा पूर्ण विश्लेषण पर आधारित होते हैं विचारक को दिशा भी देते हैं और यह भी बताते हैं कि तत्सम्बन्धी साहित्य का कितनी गहराई से अध्ययन किया गया है और समीक्षक का मानसिक स्तर क्या है।

            चूँकि यह एक महत्त्वपूर्ण कृत्य है इसीलिये इसे शिक्षा के उच्च स्तरीय पाठ्य क्रम या एम० एड० के पाठ्य क्रम से जोड़ा गया है। पुस्तक समाज को समर्पित होती है इसलिए लेखन और समीक्षा दोनों ही सामाजिक उत्थान में योग देते हैं और अत्याधिक सावधानी पूर्वक किये जाने की अपेक्षा रखते हैं।

            महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्व विद्यालय, बरैली के एम ० एड ० पाठ्यक्रम में Practicum  में दिया है – Study of any one thinkers’ original literature (one book) and write review on it. इसी तरह विभिन्न विश्व विद्यालयों ने उच्च शिक्षा स्तर पर पुस्तक समीक्षा सिखाने का प्रयास किया है। आज कल व्यावसायिक रूप से यह धनार्जन के क्षेत्र के रूप में भी उभर कर सामने आया है। इसीलिये वर्तमान समय उच्चकोटि के पुस्तक समीक्षकों की आवश्यकता महसूस कर रहा है।

            बदलते परिवेश में पुस्तक समीक्षा, समीक्षा के साथ कुछ अन्य तथ्यों की आवश्यकताओं को महसूस करती है इसीलिए पहले की तुलना में कुछ नए बिंदुओं का समावेशन आवश्यक है। इस सम्बन्ध में अलग अलग विद्वानों की राय अलग हो सकती है। यहाँ आज के दृष्टिकोण से पुस्तक समीक्षा हेतु बिंदुओं का निर्धारण किया गया है। 

पुस्तक समीक्षा (Book Review) लिखने की विधि –

                             Or

पुस्तक समीक्षा कैसे लिखें ?( How to write a book review?)

किसी भी पुस्तक  की समीक्षा लिखने में सबसे पहले निम्न जानकारी साझा की जनि चाहिए और उसके बाअद मुख्य रूप से केवल समीक्षा सरल सुबोध भाषा में प्रस्तुत की जानी चाहिए। समस्त बिन्दुओं को इस प्रकार क्रम दिया जा सकता है –

⇨ पुस्तक का नाम

⇨ लेखक का नाम

⇨ प्रकाशक

⇨ संस्करण

⇨ मूल्य

⇨ मुद्रक

⇨ समीक्षा –

            पुस्तक को समीक्षा हेतु सम्यक भागों में विभक्त कर लेना चाहिए और उन खण्डों को विषय वस्तु, चरित्रों, सम्वादों, भावनाओं, प्रस्तुति, प्रभाव उत्पादकता, तुलना, प्रासंगिकता, भाषा शैली, गुणधर्मों आदि सम्यक मानदण्डों की कसौटी व विश्लेषण के आधार पर समीक्षा की जानी चाहिए।

⇨ समीक्षक का नाम, हस्ताक्षर व दिनाँक सहित 

पुस्तक समीक्षा में ध्यान रखने योग्य तथ्य [Facts to keep in mind in book reviews]- 

01 – विषय वस्तु को गम्भीरता पूर्वक कई बार देखा, सुना, पढ़ा और समझा जाना चाहिए।  

02 – सभी आवश्यक सूचनाओं का संग्रहण किया जाना चाहिए।

03 – सम्यक दृष्टिकोण रखा जाना चाहिए।

04 – यह समीक्षा जिन लोगों के बीच जानी है उनके स्तर को संज्ञान में रखा जाना चाहिए।

05 – आप किसी अन्तिम निर्णय पर किस आधार पर पहुँचे? स्पष्टीकरण दिया जाना चाहिए।

0 6 – अपने प्रस्तुत विचार को तर्काधार भी दिया जाना चाहिए।

07 – जिस भाषा में समीक्षा लिखी जा रही है उसकी भाषा शैली पर पूर्ण अधिकार होना चाहिए।

08 – तुलना (Compare) और व्यतिरेक (Contrast) की सूक्ष्मताओं को जटिलता से बचाकर सहज, सरल, बोधगम्य और सम्प्रेषणीय बनाया जाना चाहिए।

09 – सम्पूर्ण का सारांश देने से बचाव रखते हुए आवश्यक विषय वस्तु, तथ्य, समीक्षा के घेरे में मर्यादित ढंग से लिए जाने चाहिए।  

10 – याद रखें, यह प्राक्कथन नहीं है हमारी भाषा शैली, प्रस्तुति, तुलना आदि सभी में समीक्षात्मक दृष्टिकोण दीख पड़ना चाहिए।

11 – पुस्तक के सम्बन्ध में कुछ वाक्य, पसन्दगी या नापसन्दगी का कारण, आकर्षित होने का कारण समाहित किया जाना चाहिए।

12 – अन्त में बिना कोई भेदभाव पूर्ण दृष्टिकोण रखे हुए मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

Share: