शिक्षक अपने दायित्वबोध को समझ कर कई कार्यों को अंजाम देता है वे कार्य व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय जन आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम बनते हैं। एक शिक्षक की जवाब देही को भौतिक जगत बांधने की कोशिश कर सकता है लेकिन वह प्रकृति, पशु पक्षियों और सम्पूर्ण मानवता के प्रति जवाब देह है।आज बदलती हुई परिस्थितियों में शिक्षक के प्रति समय की अवधारणाओं ने करवट ली है जिससे जनमानस की सोच और आज के शिक्षक के दृष्टिकोण में परिवर्तन हुआ है।

बदलते हुए काल ने बाजारवाद का प्रभाव हर परिक्षेत्र पर छोड़ा है और अध्यापकीय परिवेश भी इससे अछूता नहीं है।श्रीवास्तव एवं पण्डा ने अपने 2006 के शोध में दर्शाया –

शिक्षकों की जवाबदेही से तात्पर्य है कि शिक्षक दिए गए उत्तरदायित्वों को किस मात्रा व् किस सीमा तक निभाता है। ऐसा न करने पर वह कारण बताने पर बाध्य होता है। जवाबदेही अथवा प्रतिबद्धता किसी अधिकारी द्वारा सॉंप गए कार्य को गुणात्मक एवं सर्वोत्तम रूप से अधिकारी के निर्देशन अनुरूप करने का बंधन एवं कार्य है।” 

हुमायूं कबीर के वे शब्द याद आते हैं –

“शिक्षक ही राष्ट्र के भविष्य निर्माता हैं।”

इस तरह के विचार जवाबदेही हेतु और विवश करते हैं। जिसे हम इस प्रकार विवेचित कर सकते हैं।

शिक्षक की जवाबदेही का वर्गीकरण  [Classification of teacher accountability]-

A – व्यक्तिगत जवाब देही (Personal accountability)

(1) – स्वयं के प्रति

                        (2) – स्वयं के छात्र के प्रति

B – सामाजिक जवाब देही (Social accountability)

1 – सामाजिक आदर्श स्थापन हेतु

2 – भविष्य की दिशा निर्धारण हेतु

3 – सामाजिक कुरीति उन्मूलन हेतु

4 – सामाजिक सुदृढ़ीकरण हेतु जवाब देही

 C - राष्ट्र के प्रति जवाबदेही (Accountability to the nation)

                        (1) – एकता हेतु 

                        (2) – अधिकारियों के प्रति जवाबदेही

(3) – राष्ट्रोत्थान हेतु जवाबदेही

(4) – विश्वबन्धुत्व हेतु जवाबदेही

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