शिक्षक स्वायत्तता से आशय उस शक्ति से है जिससे एक अध्यापक को अपना स्वयं पर फैसला करने का अधिकार मिलता है यहाँ स्वयं पर फैसला से तात्पर्य स्वयं के दायित्वबोध के निर्वहन हेतु उपयुक्त विधि के प्रयोग से लिया जा सकता है वह अपने कार्यों के सम्पादन हेतु सम्प्रभु है। वास्तव में स्वायत्तता एक प्रकार की सम्प्रभुता ही है जिससे निर्णय लेने में उत्तमता आती है।

उक्त विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है कि स्वायत्तता से आशय है किसी अन्य के हस्तक्षेप के बिना व्यक्ति विशेष , राज्य, संस्था,का देश के अधिकार क्षेत्र में विषयों और मामलों में स्वतन्त्र निर्णय लेना।

कॉलिन्स (Collins) महोदय कहते हैं कि   –

“स्वायत्तता का अर्थ उस योग्यता से लगाया जा सकता है जो व्यक्ति को दूसरों के कथनों या विचारों से प्रभावित होने के बजाय स्वयं निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करता है।”

शिक्षक स्वायत्तता का कार्य क्षेत्र (Scope of teacher autonomy)

[A] – विद्यालय परिक्षेत्र में (In school premises)

[B] – विद्यालय परिक्षेत्र के बाहर (Outside school premises)

[A] – विद्यालय परिक्षेत्र में (In school premises)

        1 – पाठ्य क्रम सम्प्रेषण

        2 – शिक्षण विधियों के प्रयोग में

        3 – विद्यालय का वातावरण

        4 – पाठ्य सहगामी क्रियाओं में

        5 – समाज उत्पादक कार्यों से सम्बद्धता

        6 – अनुशासन

        7 – शिक्षक छात्र सम्बन्ध

[B] – विद्यालय परिक्षेत्र के बाहर (Outside school premises)

         1 – पाठ्य क्रम निर्माण में सहभागिता

         2 – शिक्षा सम्बन्धी नीति निर्णयन

         3 – प्रश्न पत्र निर्माण।

         4 – मूल्याङ्कन व सुधार

Share: