जन जन की वाणी बनानी पड़ेगी

उपद्रवियों कीमत चुकानी पड़ेगी

योगधर्म बताने से कुछ भी न होगा

लौ योग की फिर जलानी पड़ेगी।

कृष्णा  तेरी गीता  लानी पड़ेगी

घर घर तक जाकर सुनानी पड़ेगी 1

उन्हें उनकी क्षमता बतानी पड़ेगी

स्वयं, शौर्य  क्षमता बढ़ानी पड़ेगी

मात्र सिद्धान्तों से कुछ भी न होगा

असल क्षमता अपनी दिखानी पड़ेगी।

कृष्णा  तेरी गीता  लानी पड़ेगी

घर घर तक जाकर सुनानी पड़ेगी 2

राष्ट्रद्रोही को गलती बतानी पड़ेगी

कीमत संसाधनों की चुकानी पड़ेगी,

प्रेमसद्भाव मार्ग से कुछ भी न होगा

माँ भवानी, बलि अब चढ़ानी पड़ेगी

कृष्णा  तेरी गीता  लानी पड़ेगी

घर घर तक जाकर सुनानी पड़ेगी 3

प्रेममुरली कलयुग में छिपानी पड़ेगी

शास्त्र संग शस्त्रभाषा सिखानी पड़ेगी,

प्रेम – पेंगें बढ़ाने से कुछ भी न होगा

निज क्षमता सुदर्शन बढ़ानी पड़ेगी

कृष्णा  तेरी गीता  लानी पड़ेगी

घर घर तक जाकर सुनानी पड़ेगी 4

जो बोलें कृष्ण गीता जलानी पड़ेगी

निश्चित उन्हें, मुँह की खानी पड़ेगी,

चेहरे बदलने  से कुछ भी न होगा

धुल भारत भूमि की चटानी पड़ेगी।

कृष्णा  तेरी गीता  लानी पड़ेगी

घर घर तक जाकर सुनानी पड़ेगी 5

सच सच है, सच्चाई बतानी  पड़ेगी

सूरत इतिहास की धीरे धीरे दिखेगी,

गलती, छिपाने से कुछ भी न होगा

राष्ट्रवादी भूमिका निभानी पड़ेगी।

कृष्णा  तेरी गीता  लानी पड़ेगी

घर घर तक जाकर सुनानी पड़ेगी 6

भारत को गरिमा वह पानी पड़ेगी

अमृत है पयनिधि, पिलानी पड़ेगी

बचने छिपने से अब कुछ न होगा

सार्थकता ‘नाथ’ गीता बतानी पड़ेगी। 

कृष्णा  तेरी गीता  लानी पड़ेगी

घर घर तक जाकर सुनानी पड़ेगी7

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