कॉमर्स वर्तमान समय का एक बहुत व्याहारिक विषय है। बहुधा इन विद्यार्थियों में अधिक व्याहारिक गुण होने की वजह से परिणाम पाने की शीघ्र इच्छा होती है।बाजार वाद व उत्तरोत्तर बढ़ती उपभोक्ता संस्कृति ने इसे आज के परिप्रेक्ष्य में गढ़ने हेतु नए आयाम उपलब्ध कराये हैं। इनमें से कुछ बच्चों के पुश्तैनी प्रतिष्ठान होते हैं तो कई विद्यार्थी अपने आप को स्थापित करना चाहते हैं। इण्टरमीडिएट परीक्षा परिणाम प्राप्त करने के बाद इनको भी यही समस्या घेरती है की अब क्या करें ?
कालान्तर
में व्यवस्थाएं परिवर्तित होती रहती हैं शीघ्र ही वह समय आएगा जब विभिन्न धाराओं
कला,
वाणिज्य, विज्ञान की जगह विद्यार्थी पसन्दीदा
विषय किसी भी ले सकेंगे। लेकिन आज के
परिप्रेक्ष्य में वाणिज्य के कुछ विद्यार्थी गणित विषय बारहवीं में रखते हैं और
कुछ नहीं। इससे भी अवसरों में कुछ अन्तर दिखाई देता है।
बारहवीं
में गणित के साथ कॉमर्स रखने वाले विद्यार्थी हेतु कोर्स–
Course for students having commerce with mathematics in class XII-
1 – C.A. (Charted Accountancy)
2 – B.C.A. (Bachelor of
Computer Applications) or IT and Software
3 – B.F.A. (Bachelor of
Finance and Accounting)
4 – B.Com. Honours
5 – B.E. (Bachelor of
Economics)
6 – B.I.B.S. (Bachelor
of International Business and Finance)
7 – B.J.M.S. (Bachelor
of Journalism and mass Communication)
8 – B.Sc. Hons
(Mathematics)
9 – B.Sc. Hons (Applied
Mathematics)
10- B.Sc. (Statistics)
बारहवीं
में गणित के बिना कॉमर्स रखने वाले विद्यार्थी हेतु कोर्स–
Course for students having
commerce without mathematics in class XII-
1 – B.Com (Bachelor of
Commerce)
2 – C.S. (Company
Secretary)
3 – B.B.A. (Bachelor of
Business Administration)
4 – Bachelors in
Hospitality
5 – Bachelors in Event
Management
6 – Bachelors of Management
Studies
7 – Bachelors in Travel
and Tourism
8 – Bachelors in Hotel
Management
9 – Bachelor of
Vocational Studies
10 – Bachelor of
Journalism
11 – Bachelor of
Foreign Trade
12 – Bachelor of Business
Studies
13 – Bachelor of Social
Work
14 – Bachelor of
Vocational Studies
15 – Bachelor of Interior
Designing
16 – BA LL.B
17 – BBA LL.B
18 – B.A
19 – B.A (Hons)
20 – B.Sc. Animation
and media
बारहवीं
कॉमर्स के पश्चात डिप्लोमा कोर्स
Diploma course after
12th commerce –
1 – Diploma in
Education
2 – Import Export
Diploma
3 – Digital Marketing Diploma
4 – Diploma in
Industrial Safety
5 – Diploma In Advance
Accounting
6 – Diploma in Computer
Application
7 – Diploma in
Financial Accounting
8 – Diploma in Business
Management
9 – Hospitality Diploma
10 – Diploma in Banking
and Finance
11 – Diploma in Retail
Management
12 – Diploma in Hotel
Management
13 – Diploma in Fashion
Designing
बारहवीं
कॉमर्स के पश्चात प्रोफेशनल कोर्स
Professional course
after 12th commerce –
यदि हम आज के
हिसाब से कुछ महत्त्वपूर्ण कोर्स देखना चाहें तो इन्हें इस प्रकार भी क्रमित किया
जा सकता है –
1 – GST Course
2 – Income Tax Course
3 – Content Marketing
4 – Digital Marketing
5 – Accounting and
Taxation
6 – Air Hostess
Training
7 – B.A., B. Com., BBA.
etc
8 – BA LL.B
9 – Bachlor of Business
Management
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि रास्ते
बहुत सारे हैं बस हमें बहुत सोच समझ कर फैसला करना है। फैसला हो जाने के बाद दृढ़ता
से अपनी मंजिल को हासिल करना है। भारत के उत्पादन क्षेत्र को बहुत विस्तृत करने की
आवश्यकता है। बाजारवाद का परिदृश्य बदलने हेतु व अपनी मौलिकता को बनाये रखने हेतु
वाणिज्य के विद्यार्थियों से देश को बहुत आशा है।
यह संसार सचमुच अद्भुत है जो कहीं न कहीं
विचारों से उद्भूत है इसी की अधिक सम्भावनाएं भारतीय दृष्टिकोण से भी परिलक्षित
होती हैं। यहाँ तककि हमारी आज की सोच हमारे कल का निर्माण करती है हम भारतीय कुछ
विचारों में एक दूसरे से अद्भुत साम्य रखते हैं कुछ आदतें व दृष्टिकोण जिन
परिणामों तक ले जाते हैं यह भी सामान्य शोध बताने में सक्षम हैं हमारी अपनी ही सोच
और उनका व्यवहार कैसे हमारी ही दुश्मन साबित होती है उनमें से पाँच का अध्ययन आप
प्रबुद्ध जनों के समक्ष प्रस्तुत है –
1 – सुनकर अनसुनी करना
(Ignore after
listening)
2 – देखकर अनदेखा करना (Ignore
after seeing)
3 – बहाने बाजी (Betting on excuses)
4 – असत्य सम्भाषण (False speech)
5 – नकारात्मक चिन्तन (Negative thinking)
आगे वर्णित तथ्य अनुभव व विविध जनों के
दृष्टांतों पर आधारित हैं स्पष्ट रूप से इन्हे दुर्गुणों की श्रेणी में रखा जा
सकता है।
1 – सुनकर अनसुनी करना(Ignore
after listening)–
एक बहुत ही सामान्य सी बात लगती है बचपन में इस
लत का शिकार बालक कालान्तर में अपने मस्तिष्क को यह सन्देश भेजने में सफल हो जाता
है कि उसने सचमुच कुछ सुना ही नहीं और यह बात उसको बहरेपन की और बढ़ा देती है फिर
वह सुनना चाहते हुए भी सुन नहीं पाता।
वह सेवक जोअपने से ऊपर के अधिकारियों की बात को
अनसुना करता है वह आलस्य,
कामचोरी, संशय, बहरेपन, कान
का अनायास बजना, कार्य क्षमता का ह्रास, शारीरिक कम्पन आदि विविध व्याधियों का शिकार
देर सबेर होता ही है। कुछ ऐसे लोगों के अध्ययन व लोगों के अनुभवों से आप यह सहज
बोध कर सकते हैं।
यदि यह आदत स्वयम् हमको लगती है तो हम स्वयम्
अपनी भी नहीं सुन पाते, सोचते रह जाना, कल्पना लोक में विचरण, समय
की बर्बादी हम सहज स्वभाव के वशीभूत हो करने लगते हैं। किसी का आर्त्तनाद हमें
सुनाई नहीं पड़ता या हम इतने कायर हो चुके होते हैं कि किसी की मदद को तत्पर ही नहीं
हो पाते परिणाम स्वरुप एकाकी पन और मानसिक अवसाद हमें घेरने लगता है। तनाव, अकारण भय, चिन्ता
हमारा मुकद्दर बनने लगता है। लक्ष्य हमसे दूर भागने लगते हैं। परिश्रम व लगन दूर
की कौड़ी लगने लगते हैं।
2 – देखकर अनदेखा करना (Ignore
after seeing)-
आँग्ल भाषा में में पहले और दूसरे उप शीर्षक
हेतु सामान्यतः एक शब्द Avoid
ही अधिकाँश प्रयोग में लाया जाता है लेकिन
हिन्दी में इसके अलग और गूढ़ अर्थ हैं
जिसे शब्द उच्चारण से ही समझा जा सकते है देखने और सुनने के लिए क्रमशः अलग
अलग इन्द्रियों चक्षु व कर्ण का प्रयोग होता है।
आजकल लोग अधिक व्यस्त हैं व बाजार वाद के
प्रभाव से ग्रस्त हैं कि बहुधा अनदेखा करते हुए स्वयम् सहित अन्य जन दिखाई पड़ते
हैं लेकिन जब समय, धर्म, विवेक, ज्ञान और अन्तरात्मा भी हमारी देख कर अनदेखा
करने की आदत का शिकार हो जाती है और चल चित्र की भाँति बहुत कुछ हमारे सामने से
गुजर जाता है और हम किंकर्त्तव्य विमूढ़ हो जाते हैं हमारी शक्तियों का क्षय होने
लगता है। हमारी सोच दुष्प्रभावित हो जाती है।
‘जैसी करनी वैसी भरनी’ के आधार पर ही हमें प्रतिफल मिलने लगता है। यह
स्थिति मानवता के लिए अत्यन्त घातक है हमें एक दूसरे की मदद मानस का विस्तार कर
करनी ही चाहिए। चाहे सामने दुश्मन ही क्यों न हो।
3 – बहाने बाजी (Betting on excuses) –
कभी कभी एक अद्भुत तथ्य सामने आता है कि हम
किसी कार्य को करने में या किसी वस्तु से किसी की मदद करने में या किसी सलाह
द्वारा मार्गदर्शन करने में हम पूर्ण सक्षम होते हैं फिर भी हम किसी बहाने का
सहारा ले उस विशिष्ट कर्त्तव्य से मुँह मोड़ लेते हैं और यह पारिलक्षित होता है की
अधिकाँश जनसंख्या इस दुर्गुण से ग्रसित है और हम अपने बच्चों को भी जाने अनजाने
में इस दुर्गुण से ग्रसित कर देते हैं। धीरे धीरे यह हमारी आदत और व्यवहार का
विशेष भाग हो जाता है।
गिने चुने लोग ही ऐसे होते हैं जो निस्वार्थ
सेवा भावी रहकर बहानेबाज़ी की छतरी नहीं लगाते। यह मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ
लोग होते हैं।इन विशिष्ट व्यक्तित्वों से ही मानवता को सद् पथ मिलता है। इस स्वभाव
से भागने पर हम सहज ही अनुशासन प्रियता से भी दूर हो जाते हैं। हम सहज ही अधर्म
मार्ग पर बढ़ चलते हैं राम चरित मानस में कहा भी है। –
परहित सरिस धर्म नहीं भाई।
पर पीड़ा सम नहीं अधमाई।।
यह बहाने बाजी हमें हमारी ही निगाह में गिरा
देती है और जब हम इस पर विचार करते हैं तो हमें ग्लानि की अनुभूति होती है। अपना
ही स्वार्थी चरित्र हमें मुँह चिढ़ाता हुआ लगता है। हम अपना प्रगति पथ स्वयं
अवरुद्ध कर लेते हैं।
4 – असत्य सम्भाषण (False
speech) –
यह अत्याधिक खतरनाक
दुर्गुण है और हममें से अधिकाँश से बुरी तरह चिपका है साथ ही यह नई पीढ़ी को तेजी
से अपनी गिरफ्त में ले रहा है। हम जब मोबाइल पर होने वाली बातचीत में अपने और
दूसरों द्वारा इसका अनायास और बेधड़क प्रयोग देखते हैं केवल परिवार से बाहर के
लोगों के साथ ही नहीं यह दुर्गुण आत्मीय सम्बन्धों यथा पिता-पुत्र, पिता – पुत्री, शिष्य -गुरु, माता -पिता, माता-पुत्र, माता -पुत्री, बहन -बहन, भाई-भाई और मित्रों पड़ोसियों जैसे सम्बन्धों में वजह बेवजह
घुसपैठ बना रहा है।
नैतिक दृष्टि से
अत्यन्त धक्का तब लगता है जब झूठ बेवजह, नकली शान दिखाने के
लिए, रॉब ग़ालिब करने के लिए, पुराने झूठ को समर्थन
देने के लिए आदतवश बोला जाता है। हद तो तब हो जाती है जब हम अपने झूठ में मासूम नव
पीढ़ी को भी शामिल कर लेते हैं। शैतान नवपीढ़ी तो बड़ों के सामने इस तरह झूठ बोलती है
जैसे नासमझों से बात कर रही है।
जिस देश में सत्यवादी
राजा हरिश्चन्द्र ने जन्म लिया।जिस देश के विशेष चिन्तक महात्मा गाँधी ने ‘सत्य ही ईश्वर है।’ का उद्घोष किया उस देश
में अकारण असत्य सम्भाषण अत्याधिक अटपटा लगता है। यह दुर्गुण सारे पवित्र
सम्बन्धों की नींव हिलाने में सक्षम है। किसी ने सच ही कहा हे कि –
हमीं गर्क करते हैं जब
अपना बेड़ा
तो बतलाओ फिर नाखुदा
क्या करेंगे।
जिन्हें दर्दे दिल से
ही फुर्सत नहीं है
वो दर्दे वतन की दवा
क्या करेंगे ?
5 – नकारात्मक चिन्तन (Negative
thinking) –
बाहर की दुनियाँ हमारे चिन्तन, मानसिक शान्ति, प्राकृतिक स्वभाव पर
हावी होती जा रही है। सुबह के अखबार से लेकर तमाम नोटिफिकेशन, टेलीविज़न के कार्य
क्रम, हिंसा, मारधाड़, चोरी, डकैती, बलात्कार, गबन, भ्रष्टाचार की बातें
शुद्ध सात्विक मन को नकारात्मकता में डुबो देती हैं। मानव अपने मूल स्वरुप को भूल
नकरात्मकता से जुड़ बुराई के आचरण को अंगीकार करने लगता है। यह नकारात्मकता
व्यक्तित्व को दुष्प्रभावित कर हमें सामान्य मानवीय गुणों की ग्राह्यता में भी
बाधक बन जाती है न शान्ति से सोने देती है न विकास के नए आयामों से जुड़ने देती है।
भय, चिन्ता,आक्रात्मकता, चिड़चिड़ापन, असहिष्णुता को सोते
जगते हमारे चिन्तन से जोड़ देती है। मानव का सहज,, शान्त, तेजस्वी ,दिव्य स्वरुप खोने
लगता है। जो बहुत बड़ी चिन्ता व मूल्य अवनमन का कारण है।
मैं यह कहना चाहूँगा
कि सुबह व रात्रि में सोने से पहले कम से कम
दो घण्टे मोबाइल, अखबार, टेलीविज़न, लेपटॉप स्क्रीन से दूर
रहें। आवश्यक पढ़ें अनावश्यक त्यागें। नकारात्मकता से दूर रहकर सकारात्मक विचारों, व्यक्तित्वों, चिन्तन से खुद को
जोड़ें।
आज यहाँ जिन पाँच
बिन्दुओं पर चर्चा हुई ये हमारे विनाश का कारण हैं यद्यपि इनमें सूक्ष्म अंतर है
लेकिन ये आन्तरिक रूप से मिलकर सम्पूर्ण मानवता का बेडा गर्क कर देते हैं। प्रत्येक
बुद्धिजीवी, राष्ट्रवादी, देश प्रेमी का
कर्त्तव्य है कि इस दुष्चक्र से खुद निकले और सामान्य जन मानस व नव पीढ़ी हेतु
प्रगति पथ तैयार करे। यदि हम सही दिशा दे
पाए तो नई पीढ़ी इसका आलम्बन ले अनन्त ऊँचाइयाँ तय करेगी। सभी अपनी क्षमता भर
प्रयास करें। हम निश्चित ही सफल होंगे। पूर्ण विश्वास है।
जब हम हाई स्कूल उत्तीर्ण कर इण्टरमीडिएट विज्ञान वर्ग में प्रवेश लेते हैं तो तरह तरह के सपने हमारे मनोमष्तिष्क में पल रहे होते हैं यह उम्र ही ऐसी है जो तनाव ,तूफ़ान, सांवेगिक संघर्ष और कल्पना लोकसे हमारा प्रत्यक्षीकरण कराती है लेकिन इण्टर मीडिएट करते करते जागरूक विद्यार्थी के चरण यथार्थ के धरातल को स्पर्श करने लगते हैं। यह काफी कुछ हमारे घर की आर्थिक स्थिति और हमारे मानसिक स्तर से निर्धारित होता है।विविध निरीक्षण बताते हैं कि विज्ञान वर्ग के विद्यार्थियों के साथ उनके मातापिता अन्य वर्ग के विद्यार्थियों की तुलना में अधिक चिन्तित रहते हैं कि अब क्या करें क्या न करें। बच्चे के भविष्य का सवाल है।
आप सभी की समस्या समाधान की ओर यह एक प्रयास है विश्वास है कि यह दिशा बोधक सिद्ध होगा। इण्टर मीडिएट विज्ञान अपने में जीवविज्ञान और गणित के दो दिशामूलक तत्त्व साथ लेकर चलता है। विज्ञान वर्ग से इण्टरमीडिएट करने के बाद डिप्लोमा कोर्स, कम्प्यूटर कोर्स,फार्मेसी, इन्जीनियरिंग, व चिकित्सा परिक्षेत्र के कई मार्ग खुलते हैं साथ ही मिलते हैं विविध सेवाओं में अवसर। जिन्हे इस प्रकार समझा जा सकता है। –
इण्टर मीडिएट विज्ञान के बाद डिग्री कोर्स (Degree Course after Intermediate
Science)-
विज्ञान वर्ग से इण्टर मीडिएट करने के बाद एक
वृहद पटल खुलता है जिन्हे यहाँ पर एक एक करके बताने का प्रयास करेंगे निम्नवत
डिग्री कोर्स अपनी रूचि, क्षमता, स्थिति
के अनुसार किये जा सकते हैं –
बैचलर ऑफ़ साइंस (B. Sc)
बैचलर ऑफ़ एग्रीकल्चर
बैचलर ऑफ़ फार्मेसी
बैचलर ऑफ़ टेक्नोलॉजी (B. Tech), बैचलर ऑफ़ इन्जीनियरिंग (B.E)
बैचलर ऑफ़ मेडिसिन एन्ड बैचलर ऑफ़ सर्जरी (MBBS)
बैचलर ऑफ़ डेण्टल सर्जरी (BDS)
बैचलर ऑफ़ फीज़ीओथेरेपी (BPT)
बैचलर ऑफ़ होम्योपैथिक मेडिसिन एन्ड सर्जरी (BHMS)
बैचलर ऑफ़ आयुर्वैदिक मेडिसिन एन्ड सर्जरी (BAMS)
बैचलर ऑफ़ यूनानी मेडिसिन एन्ड सर्जरी (BUMS)
माइक्रो बायोलोजी
बायो टेक्नोलॉजी
बायोइन्फॉर्मेटिक्स / Bioinformatics
जैनेटिक्स
सामान्यतः लम्बे अन्तराल तक यह माना जाता रहा
की इण्टर PCM के बाद बालक इन्जीनियरिंग के क्षेत्र में जायेगा उसे JEE Main की तैयारी करनी चाहिए और IIT की चाह रखने वालों को JEE Main के साथ JEE एडवान्स
भी निकालना का प्रयास करने का प्रयास करना होगा।
डिप्लोमा कोर्स से जुड़ने हेतु इलेक्ट्रिकल,
सिविल, मेकेनिकल, केमिकल इंजीनियरिंग आदि क्षेत्रों से जुड़ा
डिप्लोमा कोर्स किया जा सकता है।
दूसरी और चिकित्सा के क्षेत्र में स्थान बनाने
हेतु NEET परीक्षा पास करनी होगी और इसके स्कोर के आधार
पर MBBS, BDS, BHMS, या BUMS आदि
का स्थान मिलेगा।
लेकिन आज पैरा मेडिकल का एक आकाश भी शीघ्र
अर्थोपार्जन का जरिया बन सकता है।
12th PCB के बाद पैरामैडिकल कोर्स –
पैरामेडिकल
का एक बहुत बड़ा क्षेत्र है जो कक्षा 12 वीं के छात्रों के लिए सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री कोर्स प्रदान करता है।
पैरामेडिकल का यह क्षेत्र पैरामेडिकल
डिग्री वालों हेतु करियर का बहुत बड़ा आयाम प्रदान करता है है। इस कोर्स के लिए न्यूनतम योग्यता 50% अंकों के साथ PCB में 12 वीं पास है। 12th PCB के बाद प्रमुख पैरामैडिकल कोर्स बताने हेतु इस प्रकार
क्रमित किये जा सकते हैं यथा –
बी एस सी
इन मेडिकल इमेजिंग टेक्नोलॉजी
बी एस सी
इन एक्स-रे टेक्नोलॉजी
बी एस सी
इनडायलिसिस टेक्नोलॉजी
बी एस सी
इन मैडिकल रिकॉर्ड
बी एस सी
इन रेडिओग्राफी
बी एस सी
इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी
बी एस सी
इन एनेस्थिया टेक्नोलॉजी
बी एस सी
इन ऑप्टोमेट्री
बी एस सी
इन ऑडियोलॉजी एण्ड स्पीच
बी एस सी
इन थिएटर टेक्नोलॉजी
इसके अलावा बहुत से परिक्षेत्र अपनी जगह बनाते
जा रहे हैं।
कम्प्यूटर कोर्स की
अपनी एक बहुत बड़ी श्रृंखला है जिन्हे
इण्टर मीडिएट के बाद किया जा सकता है ।