भारत वह देश है जो सनातन ज्ञान के अविरल प्रवाह का हामी रहा है ऋषि मुनि परम्परा से आज तक शिक्षा ने विविध आयाम तय किये हैं और आज यह आर्थिक विकास के प्रमुख सम्बल के रूप में जानी जाती है। बदलते सामाजिक परिवेश में जन जन की आकांक्षा के अनुरूप उद्देश्य की प्राप्ति में इसका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। आज जब कि यह कहा जाने लगा है की ज्ञान, ज्ञान के लिए नहीं। तो नई भूमिका अपने आप ही बन जाती है और शिक्षा नए परिवेश में सामाजिक आकांक्षा की पूर्ति का साधन बन जाती है। शिक्षा की विविध शाखाएं अर्थोपार्जन हेतु जनमानस की आवश्यकता बन जाती हैं। आर्थिक विकास भी नए आयाम की उपलब्धता हेतु शिक्षा की भूमिका को नकार नहीं सकता।
आर्थिक विकास से आशय / Meaning of Economic Development
आर्थिक विकास एक प्रक्रिया है जो जन जन की आय में उत्तरोत्तर वृद्धि
का सूचक है प्रति व्यक्ति आय में होने वाली वृद्धि उस राष्ट्र की आर्टिक प्रगति का
सूचक है लेकिन सकल राष्ट्रीय आय सामान्यतः सकल राष्ट्रीय उत्पाद द्वारा तय होती
है। भारतीय परिवेश में आर्थिक विकास वह अवधारणा है जो आर्थिक,सामाजिक,व
सांस्कृतिक विकास में सकारात्मक योग देती है। परिवर्तन अवश्यम्भावी है लेकिन जब
परिवर्तन राष्ट्र के आर्थिक उत्थान का कारण बने तो शैक्षिक उपादानों का महत्त्व
स्वयं सिद्ध हो जाता है।
जब देश के समस्त साधनों का कुशलतापूर्ण दोहन
देशी साधनों द्वारा इस प्रकार किया जाता है कि उससे प्रति व्यक्ति आय और राष्ट्रीय
आय सकारात्मक रूप से दीर्घ काल के लिए प्रभावित हो व मानव विकास सूचकांक व मानवीय
जीवन स्तर प्रगति के उत्तरोत्तर सोपान तय करने लगे तब यह आर्थिक विकास का द्योतक
होगा।
आर्थिक विकास की परिभाषा / Definition of Economic Development
कुछ विद्वानों के आर्थिक विकास सम्बन्धी विचारों को कृतज्ञता पूर्वक
हम इसे अधिगमित करने हेतु प्रयुक्त कर सकते हैं।
मेयर व बाल्डविन
महोदय के अनुसार-
“आर्थिक विकास वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक अर्थ व्यवस्था की
वास्तविक राष्ट्रीय आय दीर्घकाल में बढ़ती है।”
“Economic
development is the process by which the real national income of an economy
increases in the long run.”
विलियमसन तथा बर्टिक
ने कहा कि
“आर्थिक विकास उस प्रक्रिया को सूचित करता है
जिसके द्वारा किसी देश अथवा प्रदेश के निवासी उपलब्ध संसाधनों का अयोग प्रति
व्यक्ति वस्तु व सेवाओं के उत्पादन में नियमित वृद्धि के लिए करते हैं।”
“Economic development refers to the process by
which the residents of a country or region utilize the available resources for
a steady increase in per capita production of goods and services.”
जैकब वाइनर ने आर्थिक विकास को पारिभाषित करते हुए कहा कि-
”आर्थिक विकास प्रति व्यक्ति आय के स्तरों में
वृद्धि अथवा आय के विद्यमान उच्च स्तरों के अनुरक्षण से संबन्धित है।”
“Economic development is related to increase in the levels
of per capita income or maintenance of existing high levels of income.”
आर्थिक विकास के घटक / Components of Economic Development
मानव समाज की इकाई है सामाजिक आर्थिक स्तर का उन्नयन मानव की आर्थिक
प्रगति से सीधे सम्बन्ध रखती है आर्थिक विकास के सुनिश्चयन हेतु निम्न घटक
महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं।
1 – मानवीय घटक
i – अनुकूल वातावरण / friendly
environment
ii – सक्षम प्रबन्धन / Efficient
Management
iii – कुशल श्रमिक / Skilled
workers
iv – उत्तम विकास योजना /Good
development plan
v – आत्म प्रेरणा / self
motivation
vi – उच्च स्तरीय तकनीकी प्रशिक्षण /high
level technical training
vii – मानवीय शक्ति / human power
2 – आर्थिक घटक
i – सुदृढ़ परिवहन व्यवस्था / Strong
Transport System
ii – प्राकृतिक संसाधन / Natural
Resources
iii – पूँजी /Capital
iv – जनसँख्या / Population
v – तकनीकी प्रगति /Technological
Progress
vi – पूँजी उत्पादन अनुपात / Capital
Output Ratio
vii – शासकीय नीतियाँ / Government
Policies
आर्थिक विकास के उद्देश्य / Aims of Economic Development –
भारत में विविध पञ्च वर्षीय योजनाओं द्वारा इन उद्देश्यों की
प्राप्ति के प्रयास हुए लेकिन गलत आर्थिक नियोजन व स्वार्थपरता के कारण वे सम्यक
गति न पकड़ सके। सैद्धान्तिक रूप से इनमें निम्न उद्देश्य पारिलक्षित हुए –
01 – आर्थिक
विकास को गति /Speed up economic
development
02 – आत्मनिर्भरता
/ Self reliance
03 – रोजगार
की उपलब्धता / Availability of employment
04 – गरीबी
उन्मूलन / Poverty Alleviation
05 – निवेश
वृद्धि / Investment Growth
06 – कुशल
श्रम में वृद्धि / Increase in skilled labor
07 – गरीबी
अमीरी की खाई कम करना / Reducing the gap between
poverty and wealth
08 – स्वदेशी को बढ़ावा
/ Promotion of indigenous
आर्थिक विकास
शिक्षा का योगदान /Contribution of
Education to Economic Development
1 – कुशल श्रम की उपलब्धता / Availability of
skilled labor
2 – विविध परिक्षेत्र हेतु विशेषज्ञ /Specialist for
various fields
3 – तकनीकी क्रान्ति /Technological revolution
4 – ग्रामीण उद्योगों हेतु प्रशिक्षण / Training for
Rural Industries
5 – कार्य कुशलता में वृद्धि / Increase work
efficiency
6 – उच्च शिक्षा को प्रश्रय / Patronage of higher
education
7 – प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग /Use of natural
resources
8 – सम्यक प्रबन्धन /Proper management
उक्त विवेचन यह स्पष्ट करता है कि बिना शिक्षा के प्रगति को पंख नहीं
लग सकते यदि बदलती दुनिया के साथ कदम मिलाकर चलना है तो आर्थिक प्रगति का
सुनिश्चयन करना ही होगा जो बिना गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के सम्भव नहीं।
आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद कुछ सङ्कीर्ण
नेतृत्व शक्तियों की स्वार्थपरता के कारण घाटे का सौदा रहा है और हमारी उदारता
हमें बहुत भारी पड़ी है एक रुपया बराबर एक डॉलर से प्रारम्भ सफर आज रुपए के भारी
अवमूल्यन तक जा पहुँचा है। उदारीकरण विश्व बन्धुत्व या वैश्विक परिवार के विचार
तले पनपने वाली सह अस्तित्व वाली विचार धारा है।
यहाँ जिस उदारीकरण की बात की जा रही है वह
शैक्षिक परिक्षेत्र से सम्बन्धित है। पहले राजा, जमींदार, प्रजा, कारिन्दे आदि शब्द आम थे और शासक वर्ग व कार्य करने वाले
वर्ग हेतु अलग अलग तरह की शिक्षा का प्रावधान था और यह अन्तर कार्य की प्रकृति के
कारण था धीरे धीरे राजा राजवाड़ा वाली व्यवस्था बदल गई और शिक्षा का भेद भी पुरानी
बात हो गई। आज अधिकाँश जगह लोकतान्त्रिक व्यवस्था है और शिक्षा की एक उदार
व्यवस्था है जो किसी से कोई भेद नहीं करती।
उदारवादी
शिक्षा से आशय / Meaning of liberal education –
वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य यह परिलक्षित करता है
कि आज सभी को सभी विषय पढ़ने का अधिकार है। योग्यता, रूचि और आर्थिक क्षमता के आधार पर किसी भी शैक्षिक विषय का ज्ञान
प्राप्त किया जा सकता है इसी को उदारवादी शिक्षा के नाम से जाना जाता है।
प्रसिद्द शिक्षाविद सुरेश भटनागर व मुनेन्द्र कुमार अपनी पुस्तक ‘समकालीन भारत और शिक्षा’ में लिखते हैं –
“उदार शिक्षा सामान्य शिक्षा है, जिसमें साहित्य, कला, सङ्गीत, इतिहास,नीति शास्त्र,राजनीति आदि की शिक्षा की प्रधानता होती
है।”
“Liberal
education is general education, in which education of literature, art, music,
history, ethics, politics, etc. has priority.”
इन विद्वानों ने उदारवादी शिक्षा से इतर अर्थों में उपयोगिता वादी
शिक्षा को लेते हुए कहा –
“उपयोगितावादी शिक्षा में आर्थिक प्रश्न जुड़े
रहते हैं। यह व्यावसायिक, कार्योन्मुख, क्रिया केन्द्रित, अर्थोपार्जन व जीविको पार्जन के उद्देश्यों को
लेकर चलती है। इसमें कला, शिल्प, व्यवसाय, रोजगार परक विषयों की प्रधानता होती है।”
“Economic questions remain attached to
utilitarian education. It runs for the purposes of vocational, work-oriented,
activity-oriented, earning and earning a living. There is importance of art,
craft, business, employment-oriented subjects in this.”
आज की उदारवादी शिक्षा में उक्त दोनों के दर्शन
होते हैं व्यवहार में कोइ भेद नहीं दीखता। कतिपय विद्वान् आज के परिदृश्य में
उदारवादी और उपयोगितावादी शिक्षा के विचार की उपादेयता नहीं स्वीकारते।
उदारवादी शिक्षा का महत्त्व / Importance of liberal education :-
वर्तमान परिदृश्य हमें उदार होने हेतु निर्देशित अवश्य करता है लेकिन
पूर्ण सावधानी की आवश्यकता को नकारा नहीं जा सकता। हमें ध्यान रखना होगा की हमारी
उदारता हमें और आने वाली पीढ़ी के लिए नुकसान दायक न बन पड़े। निःस्वार्थ भाव से और
सचेष्ट रहकर उदारवादी शिक्षा अपनाने के महत्त्व को इस प्रकार बिन्दुवार वर्णित
किया जा सकता है –
1 – आत्म
अनुशासन स्थापन / Self
discipline
2 – उत्तरदायित्व
युक्त स्वतन्त्रता / Freedom
with responsibility
3 – सकारात्मक
व्यक्तिगत उद्देश्य निर्धारण / Positive personal goal setting
4 – संस्थागत
उच्च प्रतिमान स्थापन / Institutional
high standard setting
5 – सह
अस्तित्व धारणा का विकास / Development of coexistence concept
6 – ध्येय
उन्मुख / Goal oriented
7 – स्वावलम्बन
व उच्च आदर्श स्थापन / Self
reliance and high ideal setting
8 – सद्प्रेरणा
/ motivation
9 – संस्कृति
व सभ्यता का संरक्षण व विकास / Protection and development of culture and civilization
उदारीकरण का मूल्याँकन / Evaluation of Liberalization
उदारीकरण के निष्पक्ष मूल्याङ्कन हेतु उसके लाभों और सीमाओं पर
दृष्टिपात करना आवश्यक है आइए इस के प्रमुख बिन्दुओं पर विचार करते हैं।
उदारीकरण के लाभ / Benefits of liberalization –
1 – स्वस्थ
प्रतिस्पर्धा / healthy
competition
2 – विश्व
स्तरीय उत्पादन /World
class production
3 – उत्पादन
क्षमता में वृद्धि / Increased
production capacity
4 – तुलनात्मक
ज्ञानात्मक वृद्धि / Comparative
cognitive growth
5 – शोध
स्तर का उच्चीकरण / Upgradation
of research level
6 – तुलनात्मक
अध्ययन सम्भव / Comparative
study possible
उदारीकरण की सीमाएं / Limitations of Liberalization –
उदारीकरण के लाभ अधिकाँश सैद्धान्तिक हैं व्यावहारिक रूप से इसकी
कमियाँ जग जाहिर हैं जिन देशों में राष्ट्रवादी ज्वार देखने को नहीं मिलता या काम
मिलता है वहाँ इसके नकारात्मक प्रभाव अधिक देखने को मिलते हैं। यथा –
1 – स्वदेशी
उद्योगों पर सङ्कट / Crisis
on indigenous industries
2 – बहुराष्ट्रीय
उद्योगों का बेलगाम प्रभाव / Rampant influence of multinationals
3 – शोध
साहित्य की निर्बाध चोरी / Open plagiarism
4 – मूल्यों
में अवनमन / Depression
in Values
5 – राजनीतिक
भ्रष्टाचार को बढ़ावा / Promotion
of political corruption
6 – मुद्रा
अवमूल्यन / Currency
devaluation
7 – राष्ट्रीय
हितों का ह्रास / Loss of
national interest
8 – स्वदेशी
तकनीक को नुकसान / Loss
of indigenous technology
9 – अस्वस्थ
प्रतिस्पर्धा / Unhealthy
competition
उदारीकरण के सच्चे लाभ आदर्श वैश्विक परिदृश्य
में ही सम्भव है सारे राष्ट्र अपने दृष्टिकोण से विचार करते हैं और अभी ऐसी स्थिति
नहीं बनी है सारे राष्ट्र, विश्व को एक परिवार मानने लगे इसीलिये भारत को
बहुत सोच समझ कर सीमित उदारीकरण को राष्ट्रोत्थान के दृष्टिकोण से करना होगा।
स्वयम पहल करके विश्व स्तरीय नेतृत्व को दिशा दी जा सकती है लेकिन हवन करते हाथ
नहीं जलने चाहिए।