ज्ञान के सम्यक विकास को जो आलम्बन प्राप्त होता है, उसके मूल में विद्यमान है शोध।

शोध प्रारूप में उसे उद्देश्य तक ले जाने वाला महत्त्वपूर्ण कारक है न्यादर्श।

न्यादर्श का भलीभाँति अधिगम करने के लिए परम आवश्यक है कि न्यादर्श के प्रारूप को अधिगमित किया जाए। आज इसी विषयवस्तु पर विचार का महत्त्वपूर्ण दिवस है।

प्रारूप (FORMAT) –

न्यादर्श के विविध नाम, विविध विधियों और विविध प्रकारों का वर्णन देखने सुनने को मिलता है लेकिन सुविधाजनक और सरलतम सामान्य रूप से अधिगमित करने हेतु न्यादर्श के प्रकारों का इस प्रकार वर्गीकरण किया जा सकता है। 

                        न्यादर्श  के  प्रकार  / TYPES OF SAMPLING

सम्भाव्यता नमूनाकरण (Probability Sampling)गैर सम्भाव्यता नमूनाकरण  (Non-probability Sampling)
यादृच्छिक न्यादर्श (Random Sampling) स्तरीकृत न्यादर्श (Stratified Sampling) गुच्छ न्यादर्श (Cluster Sampling)         क्रमबद्ध न्यादर्श (Systematic Sampling) बहुस्तरीय न्यादर्श (Multistage Sampling)अभ्यंश न्यादर्श (Quota Sampling) सोद्देश्य न्यादर्श (Purposive Sampling) आकस्मिक न्यादर्श ( Incidental  Sampling) निर्णित न्यादर्श (Judgement Sampling)

 सम्भाव्यता नमूनाकरण (Probability Sampling) –

यादृच्छिकन्यादर्श (Random Sampling) – इस विधि द्वारा जनसँख्या के प्रत्येक सदस्य के चुने जाने की सम्भावना बराबर रहती है इसमें एक का चुना जाना दूसरे पर कोई असर नहीं डालता। प्रसिद्द विचारक गुडे व हैट ने इस सम्बन्ध में कहा –

“The unit of the universe must be so arranged that the selection process give equi-probability of selection to every unit in that universe.” Goode and Hatt,

दैव निदर्शन के लिए समग्र की सभी इकाइयों को इस प्रकार क्रमबद्ध किया जाता है कि चयन प्रक्रिया समग्र की प्रत्येक इकाई को चुनाव की सम्भावना प्रदान कर सके।

कुछ इसी तरह के भाव संजोते हुए Frankyates ने अपनी पुस्तक Sampling methods for Censues and Surveys में कहा –

देव निदर्शन वह है जिसमें समग्र अथवा जनसँख्या की प्रत्येक इकाई को निदर्शन में सम्मिलित होने का समान अवसर प्राप्त होता है।

आंग्ल अनुवाद

“Random Sampling is one in which every unit of the population or the population as a whole gets an equal opportunity to be included in the sample.”

इसमें सामान्यतः निम्न विधियों को प्रयोग में लाते हैं –

  • लॉटरी विधि २- सिक्का उछालकर ३ – पासा फैंक कर ४- टिपिट तालिका द्वारा (41600 – 10400)

स्तरीकृत न्यादर्श (Stratified Sampling) –

यह विधि एक महत्त्वपूर्ण विधि है इसमें किन्ही विशेषताओं के आधार पर जनसंख्या को अलग अलग स्तरों या वर्गों में बाँट लिया जाता है तत्पश्चात इसी में से यादृच्छिक विधि से अभीष्ट न्यादर्श का चयन कर लेते हैं। जैसा कि Dictionary of Education  के पृष्ठ संख्या 506 पर लिखा  है –

” Stratified Sample is a sample obtained by dividing the entire population into categories or strata according to some factor or factors and sampling proportionality and independently from each categories usually being done randomly.”

स्तरीकृत न्यादर्श एक न्यादर्श है. जो समस्त समग्र को कुछ तत्व/तत्वों के आधार पर स्तरों / वर्गों में विभाजित करके प्रत्येक श्रेणी से आनुपातिक एवम् स्वतन्त्र रूप से न्यादर्श चुनकर प्राप्त किया जाता है। सामान्यतया न्यादर्श यादृच्छिक रूप से चुना जाता है।

गुच्छ न्यादर्श (Cluster Sampling)-

इस विधि में कुल जनसंख्या को कुछ इकाइयों में या समूहों में बाँट लेते हैं इसे ग्रुप न्यादर्श भी कहते हैं इन्हीं गुच्छों या समूहों में से यादृच्छिक तरीके से अभीष्ट न्यादर्श को चुन लिया जाता है। जैसा कि Fred N  Karlinger महोदय कहते हैं। –

“Cluster Sampling most used method in survey’s, is the successive random sampling of units or sets or subsets.”

Fred N Karlinger, op ct p 130      

सर्वेक्षणों में बहुतायत में प्रयुक्त गुच्छ न्यायदर्शन इकाइयों अथवा समूहों अथवा उपसमूहों का क्रमिक यादृच्छिक न्यायदर्शन है।

क्रमबद्ध न्यादर्श (Systematic Sampling) –

इस विधि में कुल जनसँख्या का संख्यात्मक मान पता होना जरूरी है इस पूरी सूची को किसी भी तरह से जैसे वर्णमाला या क्रमिक नम्बर से क्रमबद्ध कर लेते हैं ,सभी को एक ही विधि से लिखा जाता है इसके बाद एक क्रम से इकाई या व्यक्ति का चयन करते हैं जैसे हर 20 वां व्यक्ति अभीष्ट न्यादर्श में शामिल होगा। अर्थात यदि 1000 में से 50 को न्यादर्श रूप में लेना है तो 1000 में 50 का भाग देने से पता चल जाएगा कि हर 20वां व्यक्ति लेना होगा।

बहुस्तरीय न्यादर्श (Multistage Sampling) –

जब क्षेत्र बहुत अधिक विस्तृत होता है तो इस विधि को प्रयोग में लाया जाता है इसमें इकाइयों का चयन विविध स्तरों से किया जाता है इनको ज्ञात करने हेतु प्रमुख आधार यादृच्छिक न्यादर्शन ही होता है इसमें विविध स्तरों से किसी के भी चयन की सम्भावना बनी रहती है और सभी स्तरों को प्रतिनिधित्व मिल जाता है। शिक्षा शब्दकोष में पृष्ठ 507 पर लिखा –

बहु स्तरीय न्यायदर्शन क्रमिक स्तरों में क्रियान्वित किया जाने वाला न्यादर्शन है। उदाहरण के लिए स्तरीकृत समूहों की प्रत्येक संख्या से यादृच्छिक रूप से अनेक समुहों को चुनना।

” Multistage Sampling is sampling carried out in a successive stages; for example, selecting several clusters randomly from each of a number of stratified clusters.” Dictionary of Education p.507

गैर सम्भाव्यता नमूनाकरण (Non-probability Sampling) –

अभ्यंश न्यादर्श (Quota Sampling) – यह असम्भाव्य न्यादर्श की एक महत्त्वपूर्ण विधि है यह काफी कुछ स्तरीकृत न्यायदर्शन जैसी लगती है लेकिन इसमें प्रत्येक स्तर या वर्ग हेतु कोटा पूर्व निर्धारित होता है जिसकी जानकारी शोधकर्ता को रहती है इसे स्पष्ट करते हुए करलिंगर(Kerlinger)  महोदय कहते हैं –

असम्भाव्यता न्यादर्श न्यायदर्शन का एक रूप कोटा / अभ्यंश न्यादर्शन है, जिसमें समग्र के स्तरोंयौन, प्रजाति, क्षेत्र और ऐसे ही, का ज्ञान न्यादर्श सदस्यों को चुनने के लिए प्रयुक्त होता है ,जो निश्चित शोध उद्देश्यों के लिए प्रतिनिधिक, विशिष्ट और उपयुक्त हैं।” 

“One form of non probability sampling is Quota Sampling, in which knowledge of strata of the population sex, race, region and so on is used to select sample members that are representative ,typical and suitable for certain research purposes.” Fred N Kerlinger

सोद्देश्य न्यादर्श (Purposive Sampling) –

सोद्देश्य न्यादर्शन विधि में उद्देश्य प्रमुख होता है ,इस उद्देश्य के अनुसा ही शोध कर्त्ता अपनी इच्छाओं व विवेक का प्रयोग करता है उद्देश्यानुरूप विविध इकाइयों का चयन अभीष्ट न्यादर्श हेतु किया जाता है शेष को छोड़ दिया जाता है। समग्र का प्रतिनिधित्व करने वाला न्यादर्श बन सके इस बात का प्रमुखतः ध्यान रखा जाता है। इस सम्बन्ध में Guillford महोदय ने लिखा –

सोद्देश्य न्यादर्श स्वेच्छा से चयनित (न्यादर्श) है क्योंकि यह एक अच्छा साक्ष्य है ,जो समस्त समग्र का वास्तविक प्रतिनिधि है।

“A purposive sample is one arbitrarily selected because there is a good evidence that sample is very representative of the total population.”

J.P.Guillford, Fundamentalof statistics in Psychology and Education.(1956) p.199

आकस्मिक न्यादर्श ( Incidental  Sampling) –

यह वह न्यादर्श है जो सहजता से सुविधानुसार उपलब्ध हो जाता है एवम् इसी कारण इसे सुविधाजनक न्यायदर्शन (Convenient Sampling ) के नाम से भी जाना जाता है शिक्षा शब्दकोष में पृष्ठ 506 पर इस सम्बन्ध में लिखा है कि –

प्रासंगिक न्यादर्श एक एकाकी न्यादर्श के रूप में प्रयुक्त एक समूह है क्योंकि यह सरलता से प्राप्य है।

“Incidental Sample is a group used as a sample solely because it is readily available.”

Dictionary of Education p. 506

निर्णित न्यादर्श (Judgement Sampling) –

इसमें शोध कर्त्ता अपने किसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए स्वयं निर्णीत इकाइयों के समूह का चयन करता है इस चयनित न्यादर्श को निर्णित न्यादर्श कहा जाता है।

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