ये नर तन तो बस माटी है
आओ, हम इसमें अर्थ भरें,
यह जीवन इक परिपाटी है
अतः दिशा इसकी तय करें ।1।
इस लघु मिट्टी के बरतन में
धर्म अर्थ काम व मोक्ष भरें
अनुपात सही तय करने में
ऋषि, मुनियों का मार्ग वरें ।2।
ऋषि मुनि का सन्देश वही
हम सद्अर्थों का भान करें
पोंगा पन्थी और रूढ़ न हों
कालानुसार व्यवहार करें ।3।
धर्म के सच्चे अर्थ ग्रहण हों
धरम में अब न अधर्म भरें
संहार हमारा कर्म नहीं हो
रचना पालन का कर्म करें ।4।
जिस आचार में मूल्य न हो
उस पथ पर, पग नहीं धरें
सत्यम्, शिवम्, सुंदरम हों
तो खतरा लेकर, मूल्य वरें ।5।
जनम संग मृत्यु निश्चित है
सहज भाव, स्वीकार करें
सत, रज, तम भाव शेष है
‘ नाथ ‘ उचित संयोग करें ।6।
ये नर तन तो बस माटी है
आओ, हम इसमें अर्थ भरें,