अज्ञान  के  विरोध  में संज्ञानता रहे।

विश्व में, आचार्य की महानता रहे, महानता रहे।।

आवाज  हैं  अनेक, नाद एक राष्ट्र में।

विविध  हैं स्वरुप, ज्योति एक राष्ट्र में।

सद् धरम हैं अनेक, ध्येय एक राष्ट्र में। 

सद् मार्ग हैं अनेक, लक्ष्य एक राष्ट्र में।

ब्रह्म निष्ठा लगन एकता विद्वानता रहे।

विश्व  में, आचार्य  की  महानता  रहे, महानता रहे।।

जाग्रत  हो  विवेक, जगें एक राष्ट्र में।

तरीके  हैं  अनेक, कार्य एक राष्ट्र में।

सोच  हैं अनेक, उद्देश्य एक राष्ट्र में।

वेश  हैं  अनेक, एकत्व एक राष्ट्र में ।

उपनिषद धर्म वेद की प्रधानता रहे ।

विश्व  में,  आचार्य की महानता रहे, महानता रहे।।

सद् मूल्य  हों अमूल्य, रहें  एक राष्ट्र में।

विस्तृत हो दृष्टि कोण, मिलें एक राष्ट्र में।

परम श्रेष्ठ  हों  विचार, गढ़ें एक राष्ट्र  में।

विकसित हो देशप्रेम, खिलें एक राष्ट्र में।

धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष,  पुरुषार्थता  रहे।

विश्व  में,  आचार्य की महानता रहे, महानता रहे।।

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