गर संस्था खुद परिवार बने, संस्थान सही हाथों में है।
छल और प्रपञ्च से दूर रहे, संस्थान सही हाथों में है।
यह सच है, दुनिया वाले, पथ में कण्टक बिछवायेंगे।
गर उन सबसे बच के निकले, संस्थान सही हाथों में है। ।1।
मानवीय मूल्य का ख्याल रखे, संस्थान सही हाथों में है।
यदि भूल के भी भटकाव न हो, संस्थान सही हाथों में है।
जब हम दायित्व निर्वहन कर, संस्था को उन्नत बनाएंगे।
कर्म को उचित सम्मान मिले, संस्थान सही हाथों में है। ।2।
जब दिन प्रतिदिन परवान चढ़े, संस्थान सही हाथों में है।
जब वह समाज की दिशा गढ़े, संस्थान सही हाथों में है।
हमसब समाज संग मिलकर के यह करतब दिखलाएंगे।
जब सभी कर्त्तव्य निर्वहन करें, संस्थान सही हाथों में है। ।3।
सब भेद – भाव को भूल चलें, संस्थान सही हाथों में है।
ना जातिवाद को प्रश्रय मिले, संस्थान सही हाथों में है।
आवाहन और सौगन्ध यही हिलमिल समरसता लाएँगे।
पावन परिवार का साथ मिले, संस्थान सही हाथों में है। ।4।
चापलूसी को न जगह मिले, संस्थान सही हाथों में है।
मर्यादा रीति और नीति बढे ,संस्थान सही हाथों में है।
संस्था की मान प्रतिष्ठा हित नित कदम उठाए जाएंगे।
संस्था को नवसम्मान मिले , संस्थान सही हाथों में है। ।5।
हो वादों का अम्बार नहीं, संस्थान सही हाथों में है।
निष्ठा को उसका मूल्य मिले,संस्थान सही हाथों में है।
निष्ठा, लगन, उत्साह सहित पथ प्रशस्त कर जाएंगे।
स्वप्नों का नाथ किला न ढहे, संस्थान सही हाथों में है।।6।