खुलीआँखों देखकर सपना लक्ष्य संजोते हैं।
लक्ष्य प्राप्त करने की धुन में जुनूनी होते हैं।
स्थाई जीवन की चाह में नही रोते- धोते हैं।
सफलता हेतु लगन व निष्ठा साथी होते हैं।
अदम्य साहस ही, विजयी दीप जलाता है।
मिलेगी सफलता निश्चित विश्वास दिलाता है।
पग- पग की ठोकर को वो खेल समझते हैं।
संघर्ष ही है बीज -मन्त्र वो खूब समझते हैं।
जीवन नहीं फूलों की शैय्या खूब परखते हैं।
कण्टक- पथ पर चलने को तैयार रहते हैं।
श्रम कण में डूब अनवरत खूब निखरते हैं।
विजयी पथ पर चलने का दमखम रखते हैं।
कम्फर्ट जोन को छोड़ निज-पथ गढ़ते हैं।
राष्ट्रवाद की मजबूती का कार्य करते हैं।
‘अप्पा दीपो भव’ के सिद्धान्त पर चलते हैं।
निजप्रकाश से जीवन जाज्वल्लित करते हैं।
घर बार इस दौर के सब वार वो सहते हैं।
तपा-तपा कर खुद को कुन्दन करते हैं।
पलायन होता अभिशाप खूब समझते हैं।
समस्या रुपी झंझावातों से खूब निपटते हैं।
विकराल परिस्थिति देखकर धैर्य न खोते हैं।
सामंजस्य और सजगता का पर्याय होते हैं।
साध्य-साधन, सुनीति यथा समय संजोते हैं।
हमें पता है, बैठ चिता पर हवन न होते हैं।