उलझन में घिर गया हूँ, निदान चाहता हूँ।

घनघोर समस्या का, समाधान चाहता हूँ।

गन्दगी रोके वो,       पायदान चाहता हूँ।

देश को समझे,    वो कद्रदान चाहता हूँ।

 

साफ़-सुथरा छोटा सा मकान चाहता  हूँ।

बच्चे पढ़ें सचमुच, वो  मुकाम चाहता हूँ।

आवश्यक मूल-भूत ही सामान चाहता हूँ।

सादा-जीवन,  उच्च – विचार  चाहता हूँ।

 

खूब     श्रम  करके,  थकान  चाहता  हूँ।

कभी- कभी  घर में  मेहमान  चाहता हूँ।

नेक- नीयत  लगन औ  ईमान चाहता हूँ।

इन्सानों  की सूरत में  इन्सान  चाहता हूँ।

 

माता -पिता  सबका,  सम्मान चाहता  हूँ।

ऊर्जा की सकारात्मक पहचान चाहता हूँ।

सशक्त हो, समृद्ध हो, तेजस्वी हो भारत,

भारत की विश्व-भर  में पहचान चाहता हूँ।

 

जिन्दादिली से जिन्दगी के काम चाहता हूँ।

भारत में  गुणवत्ता  का सम्मान  चाहता हूँ।

युवाभारत में युवाओं को मिले जो रोजगार

आराम है हराम, यह  गुणगान  चाहता  हूँ।

 

अधिकार नहीं कर्त्तव्य निर्वाहन चाहता हूँ।

अनुशासन का  देश में  शासन चाहता हूँ।

भारतीयता का देश में आवाहनचाहता हूँ।

रावण को नही चाहता सद्ज्ञान चाहता हूँ।

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