जिन्दगी अनवरत यात्रा है उत्साह युक्त क्रमिक प्रयास इसे ‘वाह जिन्दगी’ बनाते हैं जबकि थके हारे ,अवसाद ग्रस्त लोगों के लिए ‘आह जिन्दगी’ हो जाती है।

अपनी बात प्रारम्भ करने से पूर्व आपको कुछ महान व्यक्तित्वों से परिचय कराता हूँ जो अलग अलग भारतीय परिक्षेत्र से सम्बन्ध रखते हैं :-

दार्शनिक -विवेकानन्द ,आदि शंकराचार्य,श्री अरविन्द घोष ,सर्वपल्ली राधा कृष्णन,ओशो ,चाणक्य ,दयानन्द सरस्वती आदि।

वैज्ञानिक– सी 0 वी 0 रमन ,होमी जहाँगीर भाभा ,ए 0 पी 0 जे 0 अब्दुल कलाम ,श्री निवास रामानुजम ,विक्रम साराभाई ,सत्येंद्र नाथ बोस ,बीरबल साहनी ,शान्ति स्वरुप भटनागर आदि।

क्रिकेटर – सचिन ,सुनील गावस्कर ,कपिल देव ,राहुल द्रविण ,सौरव गाँगुली ,अनिल कुम्बले ,वीरेन्द्र  सहवाग ,एम 0 एस 0 धोनी आदि।

उद्यमी -मुकेश अम्बानी ,अज़ीम प्रेमजी ,लक्ष्मी मित्तल ,दिलीप सांगवी ,गौतम अदानी ,सावित्री जिन्दल ,किरन मजूमदार ,रतन टाटा आदि।

ऋषि -अत्रि ,गौतम ,भारद्वाज ,जमदग्नि ,कश्यप ,वशिष्ठ ,विश्वामित्र आदि।

फिल्म स्टार -अमिताभ बच्चन,दिलीप कुमार ,धर्मेंद्र ,शाहरुख खान ,आमिर खान ,सलमान खान ,करीना ,अनुष्का , रेखा आदि।

पहलवान -बबीता कुमारी ,सुशील कुमार ,महावीर सिंह ,दारा सिंह ,योगेश्वर दत्त ,साक्षी मलिक ,विनेश फोगाट दादा साहेब जाधव आदि।

बॉडी बिल्डर -ठाकुर अनूप सिंह ,अरम्बम बॉबी ,वरिन्दर सिंह घुमान ,राजेंद्रन गनी ,संग्राम छोगले ,सुहास खेमकर आदि।

उक्त नाम जिन माननीयों,श्रेष्ठ जनों के हैं ,इनमें से कोई भी ऐसा नहीं है जिसने खुद के प्रति निष्ठुरता दिखाते हुए स्वयं को तपाया न हो।

हम सब स्वप्न द्रष्टा जीव हैं स्वप्न देखना अच्छी बात है और उन्हें पा लेने का प्रयास सकारात्मक दिशायुक्त प्रक्रिया है। आकांक्षा और महत्त्वाकांक्षा रखना सब के वश की बात नहीं। पड़े पड़े ,आलस्य ,प्रमादयुक्त होकर लक्ष्य प्राप्त नहीं होते। इसके लिए हमें अपने प्रति निष्ठुर होना होता है। किसी भी सकारात्मक ऊर्जा की गति सफल हो सकती है यदि कुशल रण -नीति हो और लगन ,ईमानदारी व निष्ठा से कार्य करते हुए यह विश्वास रखा जाए कि  अन्ततः सफलता हमारा वरण करेगी। महत्त्वाकांक्षा का सबसे बड़ा मन्त्र सिद्ध उपाय है कि विकल्प न रखे जाएँ और सङ्कल्प दृढ़ रखे जाएँ।

बाधा आएंगी ,व्यंग्य होंगे ,लोग अपने अपने स्वभाव का प्रदर्शन करेंगे ,आलस्य घेरेगा ,आराम करने का मन करेगा, लोग निराशा की बात करेंगे,परिस्तिथियाँ डराएंगी लेकिन हमें याद रखना है कि ये सभी तो गति अवरोधक हैं। हमें अपनी गति बनाये रखनी है। सपना बड़ा है तो मार्ग कण्टकाकीर्ण होगा ही यदि हमारी साधना ,हमारा तप सच्चा है तो प्रकृति की समस्त सकारात्मक ऊर्जा हमारे व्यक्तित्व के उत्कर्ष में योग देगी।हमारी स्वयम के प्रति निष्ठुरता महत्त्वाकांक्षा के सपने को अपना बना देगा निश्चित ही हम विजित होंगे और कह उठेंगे वाह जिन्दगी।

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