अब तो हम भी जग चुके हैं देखो वो भी उछल रहे हैं।

तीन सौ सत्तर भुला चुके हैं इमरान कैसे कुदक रहे हैं।

शाह की बातें पुरअसर हैं, कश्मीर अंगड़ाई ले रहा है।

शाम मद मस्त हो चली  है शिकारे फिर से चल रहे हैं ।।

मिलन जादुई हो चुका है, अरमाँ बरबस  मचल रहे हैं।

भाई जो अबतक जुदा थे रिश्ते उन सबसे संभल रहे हैं।

आतंकी कुचले  जा रहे हैं, जन्नत फिर से चमक रहा है।

नया उजाला हो चुका है, सब ही नजरिया बदल रहे हैं।।

स्याह इबारत मिटा चुके हैं, नयी इबारत लिख  रहे हैं।

दहशतों से जो घिर चुके थे,देखो उससे निकल रहे हैं।

तिरंगा झण्डा फहर रहा है,पाकिस्तान नंगा हो रहा है।

भाल फितरत बदल चुका है कॉलेज फिरसे खुल रहे हैं।।

धमकी ढेरसारी सुनचुके हैं नया सा किस्सा सुना रहे हैं।

वादीअँधेरों से घिरचुकी थी उजाले उनके घर जा रहे हैं।

राष्ट्रवाद पोषित हो रहा है और काश्मीर चंगा हो रहा है।

नूतन जवानी आ चुकी है युवा अब  फिर से सँवर रहे  हैं ।।

अँधेरे तो वजूद खो चुके हैं, रौशन मञ्जर निखर रहे हैं।

कुछ लोग चारा बने हुए थे, अब भाईचारे पनप रहे हैं।

जो लोग बाधा बने हुए थे बन्द उनका धन्धा हो रहा है।

मार्तण्ड ऊपर चढ़ चुका है खुशी के तराने  गा रहे हैं ।।   

वर्तमान रौशन लिख चुके हैं अँधियारी परतें हटा रहे हैं।

जलने वाले तो जल रहे हैं सब लोग उन पर हॅंस रहे हैं।

पश्मीना फिर से बनरहा है बाजार फिर से खुल रहा है।

नवसम्बन्ध तुमको बुलारहे हैं हम भी कश्मीर आ रहे हैं ।।     

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