न धूम चाहिए न धमाका चाहिए,कुविचार जो बदल दे वो सलीका चाहिए।
न दौलत चाहिए न शौहरत चाहिए,मानवता को जगा दे वो तरीका चाहिए।
न रौनक चाहिए न महफ़िल चाहिए,जो ईश से मिला दे वो गलीचा चाहिए।
न सोना चाहिए न चाँदी चाहिए,जो अमनो चैन ला दे वो खलीफा चाहिए।
न सूरज चाहिए न चन्दा चाहिए,विचारों में चमक ला दे वो ही गीता चाहिए।
न कमी चाहिए न अतिरेक चाहिए,चल जाएँ सारे काम वो सुभीता चाहिए।
न जादू चाहिए न टोना चाहिए, जो सद्कर्म पथ दिखा दे वो नगीना चाहिए।
न ताज चाहिए न तिज़ारत चाहिए,भोले बाबा से मिला दे वो महीना चाहिए।