कोई  श्री राम कहता है,

कोई कान्हा समझता है,

पर भक्तोंका पागलपन,

केवल भोले समझता है ।1।

कोई वृन्दावन कहता है,

कोई  श्री धाम कहता है,

गुजरता जो है दुनियाँ से,

वो जय श्रीराम कहता है ।2।

कोई  पतवार तकता है,

कोई  नौका निरखता है,

यह नौका चल रही कैसे,

सिर्फ माँझी समझता है ।3।

कोई  लैला  समझती है,

कोई  मजनूं समझता है,

भोगों  में  क्या  रक्खा है,

यह अन्तर्मन समझता है  ।4।

इबादत  कोई करता है, 

कोई  पूजा  समझता है,

दिल में चल रहा है क्या,

मेरा रब सब समझता है ।5।

कई चालें, वो चलती है,

कई  चालें, तू चलता है,

मन में कैसी हलचल है,

नाथ ये सब समझता है ।6।

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