स्ववित्त पोषित संस्थानों का घाव दिखाने लाए हैं
उच्च शिक्षा के गुरुओं का दुःख, दर्द बताने आए हैं
कुछ गुरु भूखे और अध नंगे, दृश्य दिखाने लाए हैं
कुलदीपक बुझने वाले हैं हम अन्तिम साँसे लाए हैं ।1।
सर्वाधिकार सम्पन्न हो तुम हम दर्द दिखाने लाए हैं
कितना मसला कुचला हमको, यही बताने आए हैं
सरकारी संस्था से कई गुने छात्रों को पढ़ाते आए हैं
प्रतिफल में पाया बहुत अल्प लाज बचाते आए हैं ।2।
आपके चन्द संस्थानों से कई गुने का बोझ उठाए हैं
सिरपर घनघोर अनीति का हम दर्द छिपाते आए हैं
आपके तीर, तलवारों का शिकार हम होते आए हैं
आपकी आँख में शर्म नहीं हम मर्यादा ढोते आए हैं ।3।
स्ववित्त पोषित संस्थानों से, वे नज़र चुराते आए हैं
दोहरी नीति रखता है तन्त्र, ये सौतेले रिश्ते लाए हैं
प्राणों का संकट शासन है ये दवा नहीं कोई लाए हैं
केवल मुहरा, पासा समझा, ये हमें पटकते आए हैं ।4।
वो कहते हम हैं सबसे अच्छे अलबेली नीति लाए हैं
फिर कहेंगे नीति तो अच्छी परिणाम ना मन भाए हैं
ये नहीं देखते अधिकाँश गुरु भूखे मरते अकुलाए हैं
गुरु अस्तित्व संकट में है, भविष्य पर काले साए हैं ।5।
सारे शासन देखे हमने, सबकी फितरत के साए हैं
फिर मत कहना कुलघाती हैं व आग लगाने आए हैं
हम जल जल कर अँगार हुए हाँ कुछ अँगारे लाए हैं
तुमने अब तक विष बीज बोए फलित हुए वे आए हैं ।6।
स्ववित्त पोषित संस्थानों का घाव दिखाने लाए हैं
उच्च शिक्षा के गुरुओं का दुःख, दर्द बताने आए हैं….