समस्या = आवश्यकता – साधन
जब हमारी आवश्यकताओं की अधिकता हो और साधन ओछे पड़ जाएँ तो जन्म होता है समस्या का।
ऐसा कोई नहीं, जिसे समस्याओं का सामना न करना पड़ा हो। हर एक की समस्या का स्तर उसकी आवश्यकता के अनुसार भिन्न भिन्न होता है लेकिन हम सबको समस्या से जूझना चाहिए और पलायनवादिता से बचना चाहिए।
यहाँ समस्या को धराशाई करने के आठ उपाय आपकी नज़र हैं –
1 – जिन्दादिली – जिन्दादिली का यह गुण समस्या के प्रभाव में आश्चर्यजनक कमी लाता है वास्तव में हमें हमारी समस्या हमारे डर के कारण बड़ी दिखती है उतनी बड़ी होती नहीं। लाखों लोग उससे विषम परिस्थिति में आनन्द से जी रहे हैं। कारण है उनकी जिन्दादिली, किसी ने ठीक ही कहा है –
जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है, मुर्दादिल क्या ख़ाक जिया करते हैं।
2 – मौन – मौन एक अद्भुत जादुई शब्द है और इसका प्रयोग हमें असीमित ऊर्जा से भर देता है। याद रखें हम स्वयम् ऊर्जा के अजस्र स्रोत हैं, जब हम शान्त चित्त होकर समस्या समाधान का प्रयास, चिन्तन मनन और आत्मिक शक्ति के आधार पर करते हैं तो समस्या छू मन्तर हो जाती है। मौन से हम सारी शक्ति अन्तः केन्द्रित कर लेते हैं और समस्या का निदान हो जाता है।
3 – मानसिक शक्ति – मानस की शक्ति ही आत्म विश्वास का आधार हुआ करती है याद रखें समस्या है तो समाधान है। मानस की शक्ति ने पहाड़ में से रास्ते बनाये हैं, दुर्गम क्षेत्र विजित किए हैं आपकी मानसिक शक्ति आपके मानस का वह उत्थान कर सकती है की समस्या का पूर्ण विलोपन हो जाए। मानस की शक्ति स्वयम् पर ऐसा विश्वास जगाती है की हम मौत के मुँह से जिन्दगी छीन लेते हैं।
4 – आध्यात्मिक अवलम्बन – हमारे सबके अपने अपने ईष्ट हैं जो हमारी परम शक्ति के द्योतक हैं। इन पर दृढ़ विश्वास अद्भुत उल्लासमई जीवन शक्ति प्रदान करता है और असम्भव को सम्भव कर देता है, आवश्यकता है अपने ईष्ट पर दृढ़ विश्वास की। वे करुणा निधान हैं और अहैतुकी कृपा करने वाले हैं। सङ्कल्प लीजिए विकल्प मत छोड़िए। समस्या भाग जाएगी।
5 – लगन – लगन या धुन का पक्का व्यक्ति वह कर गुजरता है जिसे तमाम साधन सम्पन्न व्यक्ति भी नहीं कर पाते। आज के तमाम आविष्कार, चाहे आकाश में उड़ने की बात हो या समुद्र के अन्दर यात्रा की, लगन ने ही रास्ता बनाया है। ध्येय निर्धारित कर उसे पाने की लगन व्यक्ति के व्यक्तित्व में वह निखार लाती है जिसे कोई कृत्रिम साधन नहीं दे सकता। लगन की इस शक्ति के आगे समस्या दम तोड़ देती है।
6 – संयम – संयम या धैर्य वह महत्व पूर्ण गुण है जो हमें हारने नहीं देता और चीख चीख कर कहता है एक प्रयास और। विवेकानन्द जी ने धैर्य की ताक़त को महसूस करते हुए कहा – “उठो …… जागो ….. और तब तक मत रुको ; जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।”
7 – निरन्तर संघर्ष शीलता – हमेशा संघर्ष को तैयार रहें। ईश्वर को धन्यवाद कहें और निरन्तर प्रयास को अपना स्वभाव बना लें। मन्थन की निरन्तरता दूध से घी और समन्दर से अमृत निकाल सकती है। छोटी छोटी समस्या तिनके के मानिन्द कब उड़ गईं पता तब चलेगा जब लोग कहेंगे कि जीवट हो तो उस निरन्तर संघर्ष शील व्यक्ति जैसा।
8 – समस्या समाधान का विश्वास – समस्या के समाधान का हमें पूर्ण विश्वास होना चाहिए। याद रखें समस्या समाधान का कोई न कोई रास्ता होता अवश्य है। सम्यक योजना बनाएं। ठीक ही कहा गया है कि –
रास्ता किस जगह नहीं होता
सिर्फ हमको पता नहीं होता।
छोड़ दें डरकर रास्ता ही हम
यह कोई रास्ता नहीं होता ।
अन्त में समस्त मानवता का आवाहन है कि पूर्ण क्षमता से समस्या का सामना करें आप अवश्यमेव विजित होंगे। शोणित के ज्वार को दिशा देतीं अनाम पंक्तियाँ –
आरम्भ जब जो कुछ किया, हमने उसे पूरा किया।
था जो असम्भव भी उसे सम्भव हुआ दिखला दिया।
कहना हमारा बस यही था, विघ्न और विराम से।
कर के हटेंगे, हम कि अब, मर के हटेंगे काम से।