सुना है सूर्य में नाभिक का विखण्डन संलयन होता है,

एवम इसी प्रक्रिया में वह असीम ऊर्जा युक्त होता है,

प्रकृति का विविध रूपों में विखण्डन संलयन होता है,

इसीलिए मथुरा में कृष्णमवन्देजगद्गुरु जन्म होता है।

सूर्य व्योम में पृथ्वी का, अद्भुत तेजोमय प्रतिनिधि है,

इसी से पृथ्वी पर गति उत्पादन मौसम व जलनिधि है,

महाभारत काल पृथ्वी पर अविस्मरणीय कालावधि है,

उस काल का प्रणेता वह है जिसे प्रिय माखन दधि है।

कृष्ण जन्माष्टमी है जगद्गुरु के वचनांश  बांच लेते हैं,

अध्ययन सुविधार्थ इसे अठारह अध्यायों में बाँटलेते हैं,

इन अध्यायों को महाभारत के मुख्य अंश रूप लेते हैं,

इतने सरल सहज हैं ये वसुधा को निरन्तर ज्ञान देते हैं।

सांख्य,कर्म,ज्ञान,आत्म संयम ज्ञानविज्ञान योग थाती है,

अक्षरब्रह्म,राज विद्या,विभूति विश्वरूप दर्शन कराती है,

भक्ति,क्षेत्र,गुणत्रय विभाग,पुरुषोत्तम योग करामाती है,

सखा विषाद,देवासुर,श्रद्धात्रय सन्यास मोक्ष दिलाती है।

इतना ही नहीं ये सभी योगों के सम्बन्धों को बताती है,

आज जो बन्धन खड़े किए हैं ये उनके भेद  मिटाती है,

जितनी समस्याएं इस युग की सबसे परिचय कराती है,

परिचय तक सीमित नहीं रहे यह समाधान करवाती है।

माखनमाटी,ग्वालागोपी,गजराधोती संज्ञान दिलाती है,

वंशी,वंशीधर,कालिया नाग,पूतना व कंस दिखाती है,

था इस युग से वह भिन्न नहीं  नव अर्थों में सिखाती है,

विकल्प वंशीका चक्रसुदर्शन है हमको ये समझाती है।

 

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