सूर्य अस्त हो चुका तिमिर गहराया है।
बारिश ने टिपटिप का शोर मचाया है।
रात के अन्धेरे में चाँद निकल आया है।
चाँदनी से चाँद ने संदेशा भिजवाया है।
खून में उबाल का श्रेष्ठ समय आया है।।
तीन प्रहर बीते हैं चौथा प्रहर आया है।
करते क्यों जागरण घनाशीत छाया है।
तीव्र शीत लहर ने ये कहर बरपाया है।
तेज बारिश होने का मौसम बनाया है।
खून में उबाल का श्रेष्ठ समय आया है।।
कालिमा अज्ञान चीर ज्ञान ने सुझाया है।
करते रहो जागरण राष्ट्रऋण बकाया है।
आज की पीढ़ी ने व्याकुल तन्त्र पाया है।
कर्त्तव्य भाव ने श्रमवीर को उकसाया है।
खून में उबाल का श्रेष्ठ समय आया है।।
हमेशा रहो जागे राष्ट्र धर्म ने चेताया है।
राष्ट्रधर्म वीरों ने यह करके दिखाया है।
एक दुनियाँ जागे है एक को सुलाया है।
सब ने मिलजुल स्वयुग धर्म निभाया है।
खून में उबाल का श्रेष्ठ समय आया है।।
जागने का स्वर्णिम, मौका पासआया है।
स्वश्रेष्ठ देने का जिसने, बीड़ा उठाया है।
सुनो युग शिक्षार्थी काल अजब आया है।
क्रमबद्ध कार्य करो लक्ष्य पास आया है।
खून में उबाल का श्रेष्ठ समय आया है।।
आवाहन राष्ट्र का क्यों ये भ्रम छाया है।
कर्मगति तीव्र करो राष्ट्र का बकाया है।
जागो युवा तेज चलो सूर्य चढ़ आया है।
जगगुरु बनने का मौका हाथ आया है।
खून में उबाल का श्रेष्ठ समय आया है।।
मिलजुल देश गढ़ो सिद्धिमन्त्र आया है।
दुनियाँ को श्रेष्ठ दो सही समय आया है।
‘नाथ’ ने तुम्हें सही समय पर चेताया है।
हर काल शुभ है उठो देश ने उठाया है।
खून में उबाल का श्रेष्ठ समय आया है।।