शहीदों के खून के कतरे, ये विश्वास कर रहे हैं,
जागेगी नौजवानी इकदिन, अरदास कर रहे हैं,
जो नहीं, उनके सपनों का अहसास कर रहे हैं,
कुछ लोग छद्मरूप रूप में, आघात कर रहे हैं,
कब तक सोओगे, पूर्वज फरियाद कर रहे हैं।
यह कौन हैं, जो दुश्मन जिन्दाबाद कह रहे हैं,
ये गद्दार दूजे देश की,जय -जयकार कर रहे हैं,
हम जिनके घर निजशौर्य से आबाद कर रहे हैं,
उनमें से कुछ जन देश को, बरबाद कर रहे हैं।
कब तक सोओगे, पूर्वज फरियाद कर रहे हैं।
ये कौन हैं जो देश संग, इतना घात कर रहे हैं,
अच्छी तरह पहचान लो,घात पे घात कर रहे हैं,
दुश्मन देश से सुर मिलाकर जो बात कर रहे हैं,
निश्चित देश से अपने वो, विश्वासघात कर रहे हैं।
कब तक सोओगे, पूर्वज, फरियाद कर रहे हैं।
रुख मोड़, गलत दिशा में, जज्बात कर रहे हैं,
बिनबात की बे बात ही मुखालफात कर रहे हैं,
जो हुई है और ना होनी है वही बात कर रहे हैं,
बस वो निज के स्वार्थ में मुक्कालात कर रहे हैं।
कब तक सोओगे, पूर्वज फरियाद कर रहे हैं।
देश का खा इस देश से भितर घात कर रहे हैं,
ये नर पिशाच हैं देश के, फसादात कर रहे हैं,
इनपर नहीं है खुद का वश खुराफात कर रहे हैं,
किसी गैर के इशारे पर, मुश्किलात धर रहे हैं
कब तक सोओगे, पूर्वज फरियाद कर रहे हैं।