सपने देख कर बड़े बड़े नज़रें चुराना छोड़ दे।

ना होंगे पूरे पड़े पड़े इसलिए इतराना छोड़ दे।

ख़ुदी हो इतनी बुलन्द कि वो घबराना छोड़ दे।

पसीना बहा क्षमता भर आलस्य लाना छोड़ दे।

छोटे रस्ते मत ले चल ईमानदारी की डगर पर।

तड़प सपनों के लिए बस दुनिया दारी छोड़ दे।

दिन हो चाहे रात हो हाँ नज़र हो बस ध्येय पर।

मौसम, महीना देख मत सब ही बहाने छोड़ दे।

विविध जन बताएंगे कि ऐसा कर वैसा न कर।

मेहनत ही औजार हो जिन्दादिली को जोड़ दे।

नाथ संशय छोड़ दे व कण्टक पथ की राह धर।

सफलता अनुचर बनेगी अब अकुलाना छोड़ दे।    

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