सांख्यिकी का परिचय

सांख्यिकी शब्द की उत्पत्ति के सम्बन्ध दो विचार धाराएं विश्लेषण का परिणाम बंटी दिखाई पड़ती हैं इसके बारे में जानना और इतिहास जानना अत्याधिक रोचक है। ऐसा कहा जाता है कि सांख्यिकी शब्द की उत्पत्ति इटैलियन भाषा के स्टैटिस्टा (Statista) शब्द से हुई है या लैटिन के स्टेटस(Status) शब्द इसके अस्तित्व में आने का कारण है। दोनों ही शब्दों का अर्थ राजनैतिक स्टेट (Political State) है प्रत्येक स्टेट को आय, व्यय, जनसंख्या, सैनिक संख्या व जन्म मरण का लेखा जोखा रखना पड़ता है कोई भी स्टेट इन आंकड़ों का सही लेका जोखा करके ही अपनी विभिन्न नीतियों को धरातल पर उतारता रहा होगा। इसी लिए ये कहा जा सकता है कि बदलते समय के साथ यही स्टैटिस्टा (Statista) ya स्टेटस (Status) शब्द Statistics(सांख्यिकी) कहा लगा। यह विचार धारा वर्णनात्मक सांख्यिकी (Descriptive Statistics)के सम्बन्ध में ज्यादा तर्क सांगत दिखाई पड़ती है।

एक अन्य विचारधारा के अनुसार यह माना  जाता है कि कि इसका जन्म वैज्ञानिकों की जगह जुआरियों की आवश्यकता के कारण हुआ। अनुमानात्मक सांख्यिकी (Inferential Statistics) की विचार धारा इस आधार पर बलवती हुई कि इटली के कुछ जुआरियों ने उस काल के प्रसिद्द वैज्ञानिक गैलीलियो की इस सम्बन्ध में राय माँगी कि किस नम्बर पर जुआ लगाएं कि जीत सुनिश्चित हो सके। गैलीलियो ने प्रसम्भाव्यता (Probability) के आधार पर जो राय दी वह उपयोगी सिद्ध हुयी।इसी समय फ़्रांस में जुआरियों ने पास्कल के प्रसम्भाव्यता सिद्धान्त  (Pascal’s Theory of Probability)के निर्माण में विशेष योग दिया।इनके अलावा सांख्यिकी विकास में बरनॉली, गॉस, बैकन व पीयर्सन का नाम भी लिया जाता है।

HISTORY OF STATISTICS

सांख्यिकी का इतिहास

सांख्यिकी के सम्बन्ध में कहा जा सकता है की इसका इतिहास उतना ही पुराना है जितना मानव सभ्यता  इतिहास। इसका विधिवत उपयोग राजतन्त्र के समय हुआ जब राज्यों ने तर्कसंगत विकास हेतु जन शक्ति,धन शक्ति, सैन्य शक्ति,पशु शक्ति,कृषि व भूमि सम्बन्धी आंकड़ों का प्रयोग किया। जन्म दर, मृत्यु दर, वनीय संसाधन आदि की गणना हेतु सांख्यिकी राजतन्त्र की सहायिका सिद्ध हुई।

            आधुनिक सांख्यिकी के जन्मदाता व प्रवर्तक के रूप में फ्रांसिस गॉल्टन, कार्ल पियर्सन व आर ए फिशर का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। सांख्यिकी का वर्तमान स्वरुप विगत चार शताब्दियों में हुए अनुसंधान का परिणाम है यद्यपि इस सम्बन्ध में 1620 में प्रसिद्द गणितज्ञ गैलीलियो ने तार्किक विचार को धरातलीय आधार दिया। ग्राण्ड ड्यूक को लिखे चार पृष्ठीय पत्र में प्रायिकता के चार सिद्धान्त – अनुपात का सिद्धान्त, औसत का सिद्धान्त, योग का सिद्धान्त व गुणन के सिद्धान्त को प्रस्तुत किया।

            फ्रांसिस गॉल्टन को सांख्यिकी के सह सम्बन्ध गुणांक ( Coefficient of correlation) का पता लगाने का श्रेय है . प्रसरण विश्लेषण(Analysis of Variance) हेतु आर ए फिशर का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। जेम्स बरनौली(1654 – 1705 ) ,अब्राहम डी मोइबर (1667 -1754 )  आदि गणतज्ञों ने प्रायिकता का व्यवस्थित रूपेण अध्ययन किया परिणाम स्वरुप प्रायिकता सिद्धान्त (Probability Theory) अस्तित्व में आया। सन 1733 में  डी मोइबर महोदय ने सामान्य प्रायिकता वक्र (Normal Probability Curve ) का समीकरण ज्ञात किया। पीयरे साइमन लाप्लास (1749 – 1830 ) व कार्ल फ्रेड्रिच गॉस (1777 – 1827) ने 19 वीं शताब्दी के पहले दो दशकों में प्रायिकता पर महत्त्वपूर्ण कार्य किया सन 1812 में लाप्लास महोदय ने प्रायिकता सिद्धान्त पर महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ लिखा। और इसी के माध्यम से उन्होंने अल्पतम वर्ग विधि (Least Squares Method) को सत्यापित किया। गॉस महोदय ने तो सामान्य प्रायिकता वक्र हेतु इतना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया की इनके नाम पर सामान्य प्रायिकता वक्र को आज भी गॉसियन वक्र के नाम से जाना जाता है।

            उन्नीसवीं शताब्दी प्रसिद्द गणितज्ञ ए क्युलेट (1796 -1874 ) ने सामाजिक समस्याओं के अध्ययन में सांख्यिकी का प्रयोग कर बेल्जियम की उपस्थिति इस क्षेत्र में दर्ज की।इनके द्वारा प्रायिकता वक्र व अन्य सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग विविध व्यावहारिक विज्ञानों में किया गया। सर फ्रांसिस गाल्टन 1882 -1911 ने भी अपना अपूर्व योगदान सांख्यिकी को सामाजिक विज्ञानों में प्रयोग करके दिया। सह सम्बन्ध  व शतांशीय मान के प्रत्यय को गाल्टन महोदय ने ही प्रस्तुत किया। आपके साथ गणितज्ञ कार्ल पियर्सन ने भी कार्य किया। सहसम्बन्ध व प्रतिगमन (Correlation and Regression) के अनेक सूत्रों के विकास में गाल्टन महोदय ने विशेष योगदान दिया।

            बीसवीं शताब्दी सांख्यिकी के प्रयोग के हिसाब से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण रही। इस काल में लघु प्रतिदर्शों पर कार्य करने हेतु विविध प्रविधियों का विकास किया गया। लघु प्रतिदर्शों के विकास में अंग्रेज सांख्यिकीविद रोनाल्ड ए फिशर(1890 -1962 ) का महत्त्व पूर्ण योगदान रहा। इन्होने अपनी विविध विधियों का प्रतिपादन चिकित्सा, कृषि व जीव विज्ञानों के क्षेत्र में किया लेकिन बहुत जल्दी ही सामाजिक विज्ञानो ने इन विकसित विधियों की उपयोगिता जानकर समस्याओं के अध्ययन हेतु इनका प्रयोग प्रारम्भ कर दिया। वर्तमान समय में सामाजिक विज्ञानों के अनुसंधान कार्यों में सांख्यिकी का प्रयोग अति महत्त्वपूर्ण साधन के रूप में किया जाता है।

Definition and need of Statistics

सांख्यिकी की परिभाषा एवं आवश्यकता –

सांख्यिकी को प्रारम्भिक दौर में औसत, सामान्य विज्ञान और सामान्य प्रयोग तक सीमित मान कुछ संकीर्ण परिभाषाएं दी गयीं ज्यों ज्यों इस ने अपने क्षेत्र का विस्तार किया परिभाषाएं यथार्थ के अधिक निकट आईं और व्यापक दृष्टिकोण से सांख्यिकी को पारिभाषित किया गया। इसमें तत्सम्बन्धी आंकड़ा संग्रहण, वर्गीकरण, वितरण , प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण, संश्लेषण, व्याख्या, स्पष्टीकरण सभी को समाहित किया गया। यह वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सांख्यिकी के यथार्थ से तालमेल की क्षमता रखती हैं। प्रस्तुत हैं कुछ परिभाषाएं –

“सांख्यिकी औसतों का विज्ञान है।” – ब्राउले

“Statistics is the science of averages.”

“सांख्यिकी अनुमानों तथा सम्भावनाओं का विज्ञान है।” – बोडिंगटन

“Statistics is the science of estimates and probabilities.”

“सांख्यिकी वैज्ञानिक पद्धति की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध प्राकृतिक तथ्यों व घटनाओं के उन समंकों के अध्ययन से है जिनको गणना अथवा मापन द्वारा एकत्रित किया गया है।”   – एम० जी० केण्डल

” Statistics is the branch of scientific method which deals with data obtained by counting of measuring properties of population of natural phenomena.”

“सांख्यिकी किसी जाँच क्षेत्र पर प्रकाश डालने के लिए समंकों के संकलन, वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, तुलना तथा व्याख्या करने  विधियों से सम्बन्धित विज्ञान है।”  – सेलिंग मेन

“Statistics is the science which deals with the methods of collecting, classifying, presenting, comparing and interpreting numerical data collected to through some light on any sphere of inquiry.”

“सांख्यिकी एक ऐसा विज्ञान है, जिसके अन्तर्गत सांख्यिकीय तथ्यों का सङ्कलन, वर्गीकरण तथा सारणीयन इस आधार पर किया जाता है कि उसके द्वारा घटनाओं की व्याख्या, विवरण व तुलना की जा सके।” – लोविट 

“Statistics is the science which deals with the collection, classification, and tabulation of numerical facts as the basis for explanation, description, and comparison of phenomena.” –  Lovitt

अभी तक दी गई परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि सांख्यिकी की आवश्यकता मुख्यतः इन कारणों से है।

1 – तत्सम्बन्धी तथ्यपूर्ण आंकड़ों का संकलन / Compilation of relevant factual data

2 – प्राप्त आंकड़ों का व्यवस्थापन / Organization of received data

3 – प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण  / Analysis of received data

4 – सामान्यीकरण व भविष्य कथन / Generalization and prediction

5 – गुणों को संख्यात्मक मान प्रदान करना / Assigning numerical values ​​to properties6 – शोध हेतु परिकल्पना का निर्धारण / Determining the hypothesis for research

7 – सामान्य ज्ञान के स्तर में प्रामाणिक वृद्धि / Authentic increase in the level of general knowledge

8 – नीति निर्माण व क्रियान्वयन में योगदान / Contribution in policy formulation and implementation

सांख्यिकी के प्रकार

Types of statistics –

-सांख्यिकी को जब हम विषय सामिग्री के आधार पर विवेचित करते हैं तो सामान्यतः इसे पाँच भागों में विभक्त किया जा सकता है। यह पाँच प्रकार इस तरह अधिगमित किये जा सकते हैं।

 01 – सैद्धान्तिक सांख्यिकी / Theoretical Statistics

 02 – वर्णनात्मक सांख्यिकी / Descriptive Statistics

 03 – आनुमानिक सांख्यिकी / Inferential Statistics

 04 – व्यावहारिक सांख्यिकी / Applied Statistics

 05 – भविष्य कथनात्मक सांख्यिकी / Predictive Statistics

उपरोक्त सम्पूर्ण विवेचन में सांख्यिकी का परिचय देते हुए  इतिहास, परिभाषाएं सरलतम ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है साथ ही यह भी सरलतम रूप से बताया है कि सांख्यिकी की आवश्यकता किन कारणों से है और इसके कौन कौन से प्रकार हैं।

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